ममता सरकार ने प्रोफेसर-डॉक्टर्स पर एक चौंकाने वाला फैसला लिया है. इसके तहत प्रदेश विभिन्न मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में तैनात प्रोफसरों और डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया गया है. इन प्रोफेसरों और डॉक्टरों की संख्या 42 है. इनमें वह डॉक्टर और प्रोफेसर भी शामिल हैं, जिन्होंने इस मामले में आवाज उठाई थी. जिस आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर हुआ वहां के भी 2 प्रोफेसर डॉक्टरों का नाम तबादला सूची में शामिल है.
ममता सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर तबादले क्यों किए गए हैं. वहीं, BJP ने भी पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है. भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसको लेकर X पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा है कि 16 अगस्त को पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने 8 पेज की लंबी ट्रांसफर लिस्ट जारी की है. इससे हालात और मुश्किल होंगे. उन्होंने आगे लिखा कि ममता बनर्जी का निशाना मेडिकल कॉलेज कोलकाता और कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज है क्योंकि यह दोनों ही कॉलेज प्रदर्शन के प्रमुख सेंटर हैं. मालवीय के मुताबिक इन दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों से अभी तक 5 प्रोफेसरों का तबादला हुआ है. इन्हें सिलीगुड़ी, तुमलुक और झाड़ग्राम भेजा गया है.
अमित मालवीय ने आगे लिखा कि यह वरिष्ठ चिकित्सक समुदाय को आत्मसमर्पण करने के लिए डराने का एक हताश प्रयास है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर ममता बनर्जी क्या छिपाने की कोशिश कर रही हैं? जिन डॉक्टरों का ट्रांसफर हुआ है उनमें आरजी कर हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर संगीता पाल और डॉक्टर सुप्रिया दास भी हैं. प्रोटेस्ट करने वाली डॉक्टर किंजल नंदा ने कहा कि हमारे विरोध का समर्थन करने वालों का ट्रांसफर किया गया है. हमने इसका भी विरोध किया है. हमें नहीं पता कि क्या साजिश है जो अलग-अलग विश्वविद्यालयों के सीनियर प्रोफेसर्स के खिलाफ ऐसा ऐक्शन लिया जा रहा है. उनका ट्रांसफर कर दिया जा रहा है. इस केस को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे डॉक्टरों ने इस ट्रांसफर के पीछे साजिश की आशंका जताई है.
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