दुर्ग। नंदिनी की खाली पड़ी माइंस में लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से मानव निर्मित जंगल विकसित किया गया है. जंगल में 83 हजार से अधिक पौधे रोपे गए हैं, जो पर्यावरण के पुनः संरक्षण अथवा इकोलॉजिकल रीस्टोरेशन के लिए अहम साबित होंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को इस मानव निर्मित जंगल में बरगद का पौधा रोपने के साथ प्रोजेक्ट का अवलोकन किया.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने यह प्रशंसनीय कदम है. यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे तथा फलोद्यान भी विकसित करें. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये ये बड़ी पहल है. इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी.

इस अवसर पर मौजूद वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि हमने प्रकृति को सहेजने बड़े निर्णय लिए. चाहे लेमरू प्रोजेक्ट हो या नदियों के किनारे प्लांटेशन, प्रकृति को हमने हमेशा तवज्जो दी. आज यह मानव निर्मित जंगल का बड़ा काम हुआ है, जिसके लिए मैं क्षेत्र की जनता को बधाई देता हूँ. इस अवसर पर पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने भी पौधरोपण किया.

उल्लेखनीय है कि 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं. अब खाली पड़ी जगह में 83,000 पौधे लगाये गये हैं. इसके लिए डीएमएफ-एडीबी से राशि स्वीकृत की गई. पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने प्रोजेक्ट की विस्तार से जानकारी देतेहुए इस कार्य में लगे अधिकारियों को बधाई दी. सीएफ शालिनी रैना ने भी प्रोजेक्ट की टीम को बधाई दी. कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे तथा डीएफओ धम्मशील गणवीर ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी मुख्यमंत्री को दी.

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उन्होंने बताया कि 83000 पौधे लगाये जा चुके हैं, 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा. यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा. गणवीर ने बताया कि यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं, जिनकी उम्र काफी अधिक होती है, साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गये हैं. इस मौके पर पीसीसीएफ वन्य संरक्षण नरसिंह राव, लघु वनोपज के एमडी संजय शुक्ला, आईजी विवेकानंद सिन्हा, एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे. साथ ही बीएसपी सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता भी उपस्थित रहे.

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पक्षियों के लिए आदर्श रहवास

पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बनेगा तथा पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित होगा. यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है, जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्कआदि लक्षित किए गए हैं. यहां झील को तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित होगा. मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए विशेष व्यवस्था होगी. इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई गई है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के सबसे बेहतरीन घूमने की जगह में शामिल हो सके.