पवन राय, मंडला। नेशनल हाइवे 30 पर सड़क निर्माण में गड़बड़ी के मामले में अब प्रभारी मंत्री दिलीप जायसवाल खुद सवालों के घेरे में हैं। मंत्री ने माना कि टेंडर प्रक्रिया के बाद कई बार अच्छे ठेकेदार मिलते हैं, लेकिन कई जगह गड़बड़ ठेकेदार भी “टकरा जाते हैं”। बड़ा सवाल ये है कि जब गड़बड़ी पहले से सामने है, तो ऐसे ठेकेदारों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?

दरअसल, एमपी के कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व मंडला जिले के प्रभारी मंत्री दिलीप कुमार जायसवाल ने सोमवार 29 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने ऐसा बयान दिया जिसने सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंत्री ने कहा कि ‘सरकार टेंडर देती है, कई बार अच्छे ठेकेदार मिल जाते है। बहुत अच्छा काम हो जाता है। कई बार कोई ठेकेदार गड़बड़ मिल जाता है। सरकार काम के लिए एडवांस पैसा भी देती है। वो पैसा का इस्तेमाल कर लेता है, फिर भी सड़क नहीं बना पाता है।’

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मंत्री ने कलेक्टर से कही ये बात

दिलीप जायसवाल ने कहा कि ‘उसे हम ब्लैक लिस्टेड भी नहीं कर पाते, हटा भी नहीं पाते… क्यों कि हमारी मजबूरी है कि हम उससे फंस चुके हैं।’ वहीं राज्यमंत्री ने कलेक्टर से कहा कि ‘आप देख लेंगे, कौन सा ठेकेदार है, क्या दिक्कत है ? उस पर दबाव बनाकर जो भी हो एडस्ट करो और उस रोड को कंप्लीट करवाइएं।’

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जवाबदेही किसकी ?

सड़क निर्माण में लगातार शिकायतों और घटिया काम के बावजूद विभागीय निगरानी पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया निर्माण को नजरअंदाज किया जा रहा है ? और अगर सरकार मजबूर है, जैसा कि मंत्री कह रहे हैं, तो फिर जवाबदेही किसकी तय होगी ? एनएच-30 की जर्जर हालत जनता के लिए परेशानी बनी हुई है, लेकिन जिम्मेदार सिर्फ बयान देकर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। अब देखना होगा कि मंत्री के इस बयान के बाद कार्रवाई होती है या सड़क घोटाले पर पर्दा डाल दिया जाता है।

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