गर्मी के मौसम में देशभर के बाजारों में आम की सुगंध तो बिखर रही है, लेकिन इस बार ‘फलों के राजा’ की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. आम की बढ़ती आवक ने बाजार को सस्ता बना दिया है, जिससे जहां उपभोक्ताओं को राहत मिली है, वहीं किसानों की चिंता बढ़ गई है.
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आवक तेज, कीमतों में बड़ी गिरावट
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से आम की भारी आवक हो रही है. इस तेज आपूर्ति के कारण थोक मंडियों में कीमतों में गिरावट आई है.
राजस्थान की नागौर और अजमेर मंडियों में दशहरी आम 40–50 रुपये प्रति किलो, लंगड़ा 60–70 रुपये और बादामी 90–100 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, रांची के इलाकों में थोक भाव 30–35 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है.
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उपभोक्ता खुश, किसान निराश
दाम गिरने से उपभोक्ताओं के चेहरे पर मुस्कान है. आम अब सस्ते और बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं. लेकिन दूसरी ओर, किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है.
किसानों का कहना है कि इस साल उत्पादन अच्छा हुआ है, मगर कीमतें इतनी गिर गईं कि लागत भी वसूल नहीं हो पा रही.
बारियातू के एक किसान महेंद्र यादव कहते हैं, “आम की पैदावार तो ठीक रही, लेकिन भाव आधे से भी कम हो गए हैं. कई ट्रकों का माल तो मंडी में ही खराब हो गया.”
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व्यापारियों को भी घाटा
थोक व्यापारी भी इस गिरावट की मार झेल रहे हैं. अधिक आपूर्ति के चलते भंडारण और फल खराब होने का खतरा बढ़ गया है.
व्यापारियों का कहना है कि मंडियों में अधिक मात्रा में माल आने से मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा हो गया है, जिससे घाटा बढ़ने की आशंका है.
मौसम और गुणवत्ता भी जिम्मेदार
इस बार मौसम की मार ने भी आम की पैदावार को प्रभावित किया. कई क्षेत्रों में अनियमित बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण फलों की गुणवत्ता पर असर पड़ा है. इसका भी दामों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
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आगे क्या?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में आम की आवक और बढ़ सकती है, जिससे कीमतों में और गिरावट संभव है. हालांकि खुदरा ग्राहकों के लिए यह अच्छा समय है कि वे कम दामों में बेहतर गुणवत्ता के आम खरीद सकें.
जहां आम की गिरती कीमतें उपभोक्ताओं के लिए राहत हैं, वहीं किसान और व्यापारी इससे परेशान हैं.
मौसम, आपूर्ति और बाजार की मांग जैसे कई कारक इस साल आम व्यापार के लिए चुनौती बन गए हैं. ऐसे में जरूरी है कि सरकार और प्रशासन किसानों को समर्थन देने की दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि उत्पादन का लाभ सभी तक पहुंच सके.
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