हिंसा की आग में जल रहा मणिपुर अब असम के लिए मुसीबत बन गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को दावा किया कि मणिपुर जैसे दूर-दराज के राज्यों से लोग यहां आकर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। शर्मा ने वन भूमि सहित सभी अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों को खाली कराने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने यह भी कहा कि इन अतिक्रमणों की एक ‘योजना’ है और शुरू में मुट्ठी भर लोग पहले किसी इलाके में आकर बसते हैं, खेती शुरू करते हैं और जल्द ही दूसरों को लाकर एक बड़ी अवैध बस्ती बसा देते हैं।

असम सीएम ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि लखीमपुर में, जहां हमने हाल ही में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था, वहां हमें मणिपुर के लोग मिले। आज, मणिपुर और नागांव (असम में) से 12 परिवार वहां पहुंचे थे। हो सकता है कि अतिक्रमणकारियों ने उन्हें पहले आने के लिए कहा हो, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि इस बीच अतिक्रमण हटाया जा चुका है।”

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अवैध घुसपैठियों को भेजेंगे वापिस

हिमंत ने कहा कि जिला आयुक्त इन परिवारों को वापस भेजेंगे। उन्होंने कहा हालांकि अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान कई अतिक्रमणकारी ग्वालपाड़ा और आसपास के जिलों के होने का दावा करते हैं, लेकिन वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल या बांग्लादेश के भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले बांग्लादेशियों को घुसने से रोकने की कोई व्यवस्था नहीं थी। अब हम कड़ी निगरानी रख रहे हैं। कल ही हमने 16 अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा है। हो सकता है कि इनमें से कई अतिक्रमणकारी बांग्लादेश से आए हों।

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लुमडिंग में चलाया गया था अतिक्रमण के खिलाफ अभियान

मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिक्रमणकारियों के राज्य के जिलों से न होने के संदेह के पीछे की वजह यह है कि ज्यादातर अतिक्रमणकारी 30-45 दिनों के भीतर ‘गायब’ हो जाते हैं। शर्मा ने कहा कि अतिक्रमण शुरू करने का एक ‘तरीका’ है। शर्मा ने लुमडिंग का उदाहरण देते हुए कहा, “हमें अदरक की खेती के बड़े-बड़े इलाके मिले। पहले, कुछ लोग एक जगह पर आते हैं और उसे चिह्नित करते हैं। फिर वे और लोगों को लाते हैं और खेती शुरू कर देते हैं।” राज्य सरकार ने लुमडिंग में पहले अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था। उन्होंने कहा कि गोलाघाट जिले के उरियमघाट में सुपारी की खेती या श्रीभूमि और हैलाकांडी जिलों में रबर की खेती में भी ऐसा ही चलन देखा गया है।

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500 परिवारों ने जंगल पर किया कब्जाः सीएम

शर्मा ने उरियमघाट में अतिक्रमण हटाओ अभियान की तैयारी का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें चार-पांच महीने लगेंगे, क्योंकि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा और इस मामले में, नगालैंड को भी सूचित करना होगा। क्योंकि यह इलाका अंतर-राज्यीय सीमा पर स्थित है। उन्होंने कहा कि उरियमघाट में हजारों बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है और लगभग 500 परिवारों ने पूरे जंगल पर कब्जा कर रखा है।

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