नई दिल्ली . दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 11 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया है.
अदालत ने मामले की विस्तार से सुनवाई की और कहा कि ईडी की ओर से आरोपी व्यक्तियों को कई दस्तावेज दाखिल करना बाकी है. इस बीच कोर्ट ने वकीलों से नाराजगी जताते हुए कहा कि 207 सीआरपीसी का अनुपालन जल्द से जल्द पूरा करें ताकि सुनवाई शुरू हो सके. अदालत ने ईडी को भी नोटिस जारी किया और बेनॉय बाबू की अंतरिम जमानत याचिका पर बहस के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की.
इससे पहले मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया था लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जांच एजेंसी 338 करोड़ रुपयों का लेनदेन स्थापित कर पा रही है इसलिए मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर निचली अदालत में 6 महीने में मुकदमा खत्म नहीं होता, तो सिसोदिया जमानत के लिए दोबारा आवेदन दे सकते हैं.
इस बीच कोर्ट ने वकीलों से नाराजगी जताते हुए कहा कि 207 सीआरपीसी का अनुपालन जल्द से जल्द पूरा करें ताकि सुनवाई शुरू हो सके. अदालत ने ईडी को भी नोटिस जारी किया और बेनॉय बाबू की अंतरिम जमानत याचिका पर बहस के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की. बता दें कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम पर दिल्ली आबकारी नीति में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है.
महत्वपूर्ण जानकारियां-
राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया और अन्य की न्यायिक हिरासत 11 दिसंबर तक बढ़ा दी है.
अदालत ने कहा कि ईडी द्वारा आरोपी व्यक्तियों को अभी भी कई दस्तावेज सौंपे जाने बाकी हैं.
कोर्ट ने 207 सीआरपीसी का अनुपालन जल्द से जल्द पूरा नहीं करने पर वकीलों पर नाराजगी जताई.
अदालत ने ईडी को भी नोटिस जारी किया.
कोर्ट ने बेनॉय बाबू की अंतरिम जमानत याचिका पर बहस के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की.
क्या है मामला?
कथित शराब घोटाले के समय मनीष सिसोदिया दिल्ली के आबकारी मंत्री थे..उन्हें इस साल फरवरी में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया.दोनों ही मामलों में निचली अदालत और हाई कोर्ट उनकी जमानत याचिका ठुकरा चुके हैं. निचली अदालत ने कहा था कि उन्होंने आबकारी नीति में बदलाव कर घोटाले में मुख्य भूमिका निभाई. दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सिसोदिया पर लगे आरोपों को गंभीर बताते हुए बेल से मना कर दिया था.