नई दिल्ली। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने विपक्षी दलों को झकझोर दिया है. ऐसे में आठ विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की बात कहते हुए निरंकुश तंत्र की स्थापना का आरोप लगाया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखने वालों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल हैं.

चिट्ठी की मुख्य बातें:

प्रधानमंत्री जी, हमें उमम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है. विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ लगातार हो रहा केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग यह बता रहा है कि देश में एक निरंकुश तंत्र की स्थापना हो रही है.

26 फरवरी 2023 को दिल्ली के डिप्टी सीएम को सीबीआई के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. यह एक सियासी साजिश लग रही है. उनकी गिरफ्तारी से पूरे देश में लोग खफा हैं. मनीष सिसोदिया दिल्ली के स्कूलों में सुधार लाने के लिए अपनी पहचान बनाई है. उनकी गिरफ्तारी का दुनिया में एक गलत मतलब निकाला जा रहा है.

2014 के बाद से देश में केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा जितने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें से अधिकांश विपक्षी दलों के हैं. इतना ही नहीं, जिन नेताओं ने बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है.

पूर्व कांग्रेसी और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सीबीआई और ईडी ने 2014 और 2015 में सारदा चंट फंट घोटाले में जांच की थी. हालांकि, उनके भाजपा में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा. इसी तरह पूर्व टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई की जांच के दायरे में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद मामले आगे नहीं बढ़े. ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महाराष्ट्र के नारायण राणे भी शामिल हैं.

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