कुदंन कुमार/पटना। बिहार की सियासत में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह के घर मंगलवार को राज्य के मंत्री अशोक चौधरी पहुंचे। इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को हवा दे दी है। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई, जिसमें कई अहम राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई। खासकर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर भी दोनों के बीच बातचीत हुई है।

गर्मजोशी से स्वागत किया

जानकारी के अनुसार अशोक चौधरी के पहुंचने पर अनंत सिंह ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। बैठक के दौरान न केवल चुनावी रणनीति और टिकट को लेकर बातें हुईं, बल्कि स्थानीय राजनीति, विकास कार्यों और संगठनात्मक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ। मुलाकात के बाद अशोक चौधरी ने अनंत सिंह के घर पर रखे लाखों रुपये के एक विशेष नस्ल के भैंस को भी देखा जिसकी चर्चा अक्सर स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर होती रहती है।

भूमिका निभाने की तैयारी में

इससे पहले भी अनंत सिंह लगातार सत्तारूढ़ दल के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं। दो दिन पहले उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री से हुई इस मुलाकात को लेकर अटकलें लगीं कि वे एक बार फिर सक्रिय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में हैं। वहीं, नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद अनंत सिंह ने केंद्रीय मंत्री ललन सिंह से भी उनके आवास पर भेंट की थी। इन लगातार मुलाकातों ने यह संकेत दिया है कि अनंत सिंह जदयू के शीर्ष नेतृत्व के साथ संपर्क बढ़ा रहे हैं और चुनावी टिकट सुनिश्चित करने के प्रयास में हैं।

मैदान में उतर सकते हैं

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अनंत सिंह की सक्रियता और लगातार हो रही इन बैठकों का सीधा संबंध आगामी विधानसभा चुनाव से है। मोकामा विधानसभा क्षेत्र से कई बार चुनाव जीत चुके अनंत सिंह का इलाके में खासा प्रभाव है। हालांकि, कानूनी मामलों और राजनीतिक उतार-चढ़ाव के चलते उनका सफर हमेशा चर्चा में रहा है। अब उनके एक बार फिर से जदयू के शीर्ष नेताओं के साथ नजदीकी बढ़ाने से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वे अगले चुनाव में जदयू के टिकट पर मैदान में उतर सकते हैं।

समीकरणों को प्रभावित कर सकती

फिलहाल, अशोक चौधरी और अनंत सिंह की इस मुलाकात ने राजनीतिक अटकलों को और भी मजबूत कर दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन बैठकों का नतीजा अनंत सिंह की सक्रिय राजनीति में वापसी के रूप में सामने आता है या यह सिर्फ सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार भर है। लेकिन एक बात तय है—बिहार की सियासी जमीन पर यह मुलाकात आने वाले चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।

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