रायपुर- अंतागढ़ टेपकांड मामले के मुख्य किरदार रहे मंतूराम पवार ने आज उप चुनाव के दौरान नाम वापस लेने वाले अन्य छह उम्मीदवारों के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर कई बड़े खुलासे किए हैं. पवार ने कहा कि दिल्ली के मेदांता अस्पताल में उनकी तत्कालीन मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, उनके दामाद पुनीत गुप्ता के साथ मुलाकात हुई थी. यह मुलाकात फिरोज सिद्दीकी और संजय अग्रवाल ने कराई थी. इस दौरान कहा गया था कि जो भी आश्वासन दिया गया है, उसे पूरा किया जाएगा. पुनीत गुप्ता, राजेश मूणत के साथ बैठकर सब काम कर देंगे. मंतूराम पवार ने कहा कि इस पूरे मामले में मैंने यदि पैसा लिया होता तो न्यायालय की शरण में नहीं गया होता. बल्कि लोग जैसे लोग घूम रहे हैं, वैसा घूमता. पैसा देने वाला कोई और, लेने वाला कोई और, खाने वाला कोई और, लेकिन बदनाम हो रहा है, तो मंतूराम पवार. उन्होंने कहा कि टेपकांड के खुलासे के बाद आज वाइस सैंपल की बात की जा रही है, लेकिन मैं कब से यह कह रहा हूं. मैंने कोर्ट से कहा है कि मैं वाइस सैम्पल देने तैयार है, जब भी बुला लो. जब मंतूराम वाइस सैम्पल देने तैयार है, तो फिर पुनीत गुप्ता क्यों नहीं दे रहे? अजीत जोगी क्यों नहीं दे रहे? इसका मतलब है कि दाल काली नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है. मंतूराम पवार ने प्रेस कांप्रेंस में यह भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह, राजेश मूणत, अमन सिंह और ओम प्रकाश गुप्ता के खिलाफ धमतरी थाने में बुधवार को एफआईआर दर्ज की गई है.
अंतागढ़ उप चुनाव में कोर्ट में धारा 164 के तहत दिए गए बयान के बाद बीजेपी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था. निष्कासन के बाद मंतूराम पवार ने आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि उप चुनाव के दौरान मुझे पर पड़ रहे दबाव की जानकारी मैंने कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को राजेश तिवारी के माध्यम से जानकारी भेजी थी. मैंने कहा था कि मुझ पर दबाव है. मुझे बंधक बनाकर रखा गया है. जान से मारने की धमकी दी गई है, लेकिन मुझे यह नहीं पता की राजेश तिवारी ने ऊपर मैसेज दिया है या नहीं. पवार ने कहा कि – मुझे आज भी जान का खतरा है. बड़े बड़े राजनीतिज्ञ हैं, जो कुछ भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यदि मेरे ऊपर या मेरे परिवार के ऊपर कुछ होता है. तो जिन-जिन लोगों का नाम आज ले रहे हैं, ये दोषी होंगे. इन पर कार्रवाई होनी चाहिए. हम आमने-सामने लड़ना चाह रहे हैं. यह हमारी सिद्धांत की लड़ाई है, आर-पार की लड़ाई है.
मंतूराम पवार ने कहा कि हमने हर बातों को जनता के सामने रखा. इससे बहुत सारे लोग कटघरे में खड़े हो गए. बहुत सारे नेता अपने चेहरे को छिपाने लग गए. लोग इसे बदलापुर की राजनीति के तौर पर देखते हैं, लेकिन आज यह सबको मानना होगा कि मंतूराम अकेला नहीं है. मेरे साथ उस समय बस्तर के 12 उम्मीदवार जिन्होंने नामांकन भरा था, उनमें से छह उम्मीदवार साथ हैं. ये आदिवासी लोग है. भोले-भाले लोग हैं, इमानदार है. ये चुनाव लड़ना चाहते थे. जनता के बीच जाकर सेवा करना चाहते थे. ये सब भी दुखी है, पीड़ित है, जिसकी वजह से आज यह सामने आए हैं. इनमें भीम सिंह उसेंडी, भोजराज नाग, देवनाथ हिड़को, महादेव मंडावी, शंकर लाल नेताम, विरेंद्र कुमार शामिल हैं. रघुनाथ उसेंडी की मृत्यु हो चुकी है. दो प्रत्याशी और है, जिनसे हमारा संपर्क हो रहा है. पवार ने कहा कि मैंने 20 तारीख को जब अपना नामांकन वापस लिया था, तब मैं वाकई चुनाव लड़ना चाहता था. नाम वापस लेने के पीछे मेरे सामने दो मजबूरी थी. एक मुझे लालच दिया गया और दूसरा मेरी जान के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया गया था. धमकी दी गई थी कि नाम वापस नहीं लोगे, तो कभी भी दुर्घटना हो सकती है. नक्सल क्षेत्र से हो, कभी भी इनकाउंटर कराया जा सकता है. उस दिन से में दबाव में थे. मेरा परिवार गांव में ही रहता है, उनकी रक्षा के लिए मैंने अपना नाम वापस ले लिया था.
मंतूराम पवार ने कहा कि डाक्टर रमन सिंह, अजीत जोगी ने मिलकर मुझे फंसाया. नाम वापसी के बाद मैं कितनी बार अजीत जोगी से मिला, उनसे कहा कि रमन सिंह से बात कराओ. न तो मुझे पैसा मिल रहा है, न ही पद. मुझे कैबिनेट का दर्जा नहीं दिया गया. विधानसभा-लोकसभा में टिकट की बात कही गई, लेकिन नहीं दी गई. जब से मैं नाम वापस लिया तब से मैं दबाव में था. मुझे कहा करते थे. यदि पार्टी के खिलाफ जाओगे तो आपके खिलाफ कार्यवाही होगी. मैं डाक्टर रमन सिंह से हर 15 दिन में मिलता था. मैंने उनसे कहा था कि आपने अजीत जोगी से कह दिया था कि पद पैसा देंगे, लेकिन लंबे समय तक टालते रहे. जितने भी डाक्यूमेंट बनते थे. चाहे शपथपत्र की बात हो या अन्य बात हो. मुझ पर दबाव डालकर कराते थे. मै देखा कि हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. मेरे ऊपर मेरा प्रतिद्वंदी विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. मंतूराम पवार का बीजेपी में अपमान हुआ, जगह नहीं दी गई. कांग्रेस ने सम्मान दिया, बीजेपी ने धोखा दिया. मैंने अपने विवेक से सोचा की मैं न्यायालय की शरण में जाऊंगा. 7 तारीख को मैं कोर्ट गया और 164 में बयान दर्ज कराया. मुझे 10 तारीख को दादागिरी के साथ पार्टी से निकाला. यह है शुचिता की बात करने वाली पार्टी. मुझे रमन सिंह ने दादागिरी के जरिए पार्टी से हटाया. आखिर मैं कब तक सकता. एक इमानदार आदमी, एक आदिवासी नेता. मुझे किसने बेचा, किसने खरीदा और खरीदने वाला कौन है? इसे मैंने उजागर किया है. बेचने वाला हमारा पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, जिनसे हमारी बात होती थीऔर खरीदने वाला डाक्टर रमन सिंह है. पवार ने कहा कि जब मैं रमन सिंह के साथ बैठता था, तो पूछता था कि आपने पैसा किसे दिया. तब उन्होंने मुझसे पूछा कि नहीं मिला क्या. मैंने जवाब दिया कि नहीं मिला. मैंने पूछा कितना पैसा, तब उन्होंने कहा कि 7 करोड़ तो मैंने भिजवा दिया था. रमन सिंह से मेरी बंद कमरे में बात होती थी. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए इसलिए ही हम जांच चाह रहे हैं.
पवार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और अमित जोगी ने बहुत दिनों से डाक्टर रमन सिंह के साथ पहले से ही आपसी तालमेल था. अजीत जोगी ने साल 2003 में हुए चुनाव के दौरान डाक्टर रमन सिंह के साथ मिलकर सरकार बनवाया था. 2008 और 2013 में दोनों मिलकर सरकार बनाए. 2018 में यह कामयाबी इसलिए नहीं मिल पाई क्योंकि अमित जोगी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. बेटे के साथ अजीत जोगी भी चले गए. इसके लिए मैं भूपेश बघेल को धन्यवाद दूंगा. उन्होंने पूरी मर्दानगी के साथ इन्हें बाहर किया था. यदि अजीत जोगी इनके साथ रहता, तो मैं दावा कर सकता हूं कि 2018 में कांग्रेस की सरकार नहीं बनती.