26 दिसंबर यानी आज साल की आखिरी पूर्णिमा है. पूर्णिमा का दिन अत्यन्त पवित्र होता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का खास महत्व होता है. इस तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है और सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं. इस तिथि पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है. इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है. चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं, इसलिए इस दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
आज 1. दत्तात्रेय जयंती 2. अन्नपूर्णा जयंती 3. त्रिपुर भैरवी जयंती 4. मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा व्रत 5. मार्गशीर्ष पूर्णिमा 6. अन्वाधान. मार्गशीर्ष माह के पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत-त्योहारों का योग बना है. इस दिन जरूरतमंदों को धन, अनाज, गरम कपड़े आदि का सामर्थ्य अनुसार दान जरूर करें. योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें. Read More – अगहन के गुरुवार : 15 खूबसूरत अल्पना रंगोली डिजाइन से करें मां लक्ष्मी का स्वागत …
व्रत-त्योहार का विस्तार
दत्तात्रेय जयंती- हिंदू पंचांग के अनुसार, दत्तात्रेय जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है. मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा के स्वरूप दत्तात्रेय भगवान की विधि-विधान से पूजा होती है.
अन्नपूर्णा जयंती- हिंदू पंचांग के अनुसार, अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा होती है. यह पर्व प्रत्येक साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. जो जातक इस दिन मां अन्नपूर्णा की विधि-विधान से पूजा करते हैं, उनके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती.
त्रिपुर भैरवी जयंती- दुर्गा सप्तशती के अनुसार, मां त्रिपुर भैरवी महाकाली का स्वरूप है. यह 10 महाविद्याओं में छठे स्थान पर है. मान्यता है कि जो जातक इस दिन त्रिपुर भैरवी माता की पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. Read More – ऑलिव कलर के स्विमसूट में Monalisa ने शेयर किया Photo, 41 की उम्र में दिखाई दिलकश अदाएं …
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत- हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन जो जातक व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का बहुत ही ज्यादा महत्व है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा- मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि बेहद ही शुभ मानी गई है. मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है.
अन्वाधान– धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अन्वाधान वैष्णव सम्प्रदाय के लिए बेहद शुभ दिन होता है. यह महीने में 2 बार आता है. पहला कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और दूसरा शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक