हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ का महीना वैशाख मास के समाप्त होते ही शुरू हो जाता है. यह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना है. यह माह 6 मई से प्रारंभ हो गया है. जो 04 जून तक रहेगा. इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवार हो जाता है और गर्मी भयंकर पड़ती है. सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ का माह कहते हैं. जिन जेष्ठ युवक-युवती के विवाह मुहूर्त जेष्ठ माह के बाद नहीं है. उन्हें देवउठनी ग्यारस तक इंतजार करना पड़ेगा. वही 5 जून से फिर एक बार 27 जून तक शादी के शुभ मुहूर्त का समय रहेगा.

हिंदू मान्यता के अनुसार जेठ के महीने में परिवार में बड़े पुत्र या फिर पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए. ज्योतिष के अनुसार पहले गर्भ में उत्पन्न लड़के या लड़की का विवाह उसके जन्म मास, जन्म नक्षत्र या जन्म तिथि में नहीं किया जाता है. यदि माता का पहला गर्भ नष्ट हो गया हो तब यह विचार करने की आवश्यकता नहीं है. जन्म मास के सन्दर्भ में मुहूर्तशास्त्रियों के दो मत हैं, कुछ तो जन्म के चान्द्रमास को जन्म मास मानते हैं और कुछ जन्म दिन से लेकर तीस दिन के अवधि को जन्म मास माना जाए. पुत्र के विवाह के 6 माह के भीतर पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए. Read More – Vastu Tips : घड़ी को सही दिशा में लगाने से घर में आती है सुख शांति और लक्ष्मी, वास्तु के अनुसार करें ये काम …

पुत्री का विवाह करने के बाद पुत्र का विवाह कभी भी किया जा सकता है. ज्योतिषियों के अनुसार वे सभी महत्वपूर्ण कार्य, जिनका प्रभाव हमारे संपूर्ण जीवन काल, घर-परिवार और समाज पर पड़ता है, शुभ समय में करने चाहिए. समाज और रिश्तेदारों को भी दो आत्माओं को दाम्पत्य सूत्र में शुभ लग्न में बंधने में सहयोग करना चाहिए. पाया गया है कि जन्मपत्री में दाम्पत्य सुख बाधा हो या नहीं, यदि विवाह लग्न दोषपूर्ण हो, तो दाम्पत्य जीवन कष्टमय होता है. इसलिए शुभ समय में विवाह करना श्रेष्यकर है. Read More – Tea Lovers : अगर आप भी घर में पीना चाहते हैं टेस्टी चाय, तो ऐसे करें अदरक का इस्तेमाल, यहां जानें बनाने का सही तरीका …

ज्येष्ठ मास सभी मास में शुभ

शास्त्रों में ज्येष्ठ मास को सभी मास में शुभ माना गया है. ज्येष्ठ के स्वामी मंगल है और मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में साहस का प्रतीक माना गया है. सभी नवग्रहों में मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है. ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है. इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकलने वाली मां गंगा और पवनपुत्र हनुमान की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.