प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना धर्मांतरण के विपरीत धर्म के लोगों की शादी को लेकर अहम टिप्पणी की है. न्यायालय ने ऐसी शादी को अवैध मानते हुए कहा कि यह कानून का उल्लघंन है. कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज मंदिर में कानून का उल्लघंन कर नाबालिग लड़की का शादी प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है.
अदालत ने शासन के गृह सचिव को विपरीत धर्म के नाबालिग युगल को शादी का प्रमाणपत्र देने वाली प्रदेश की आर्य समाज संस्थाओं की डीसीपी स्तर के अधिकारी से जांच कराने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने इसकी रिपोर्ट भी मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने सोनू उर्फ सहनूर की याचिका पर दिया है.
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मामले में याची मुकदमा रद्द करने की गुहार लगाई थी. याची की दलील थी कि उसके खिलाफ महाराजगंज के निचलौल थाने में अपहरण, रेप और पॉक्सो एक्ट के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस की चार्जशीट पर अदालत ने संज्ञान लेकर समन जारी किया. जबकि उसने पीड़िता से आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है और अब वह बालिग है. दोनों साथ रह रहे हैं इसलिए मुकदमे की कार्रवाई रद्द की जाए.
इस पर सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची और लड़की, दोनों विपरीत धर्म के हैं. बिना धर्म परिवर्तन किए की गई शादी अवैध है. याची ने धर्म परिवर्तन नहीं किया है और न ही शादी रजिस्ट्रेशन कराई है. तब कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज संस्थाओं में फर्जी विवाह कराने और नाबालिग को विवाह प्रमाणपत्र जारी करने के कई मामले सामने आए हैं. ये संस्थाएं कानून का उल्लघंन कर विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रही हैं. इसकी जांच की जाए और कार्रवाई हो. कोर्ट ने गृह सचिव से जांच रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.
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