भागलपुर। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 13 अगस्त को आतंकियों की फायरिंग में शहीद हुए भागलपुर के जवान अंकित यादव का पार्थिव शरीर आज उनके घर लाया जा रहा है। अंकित यादव की उम्र 35 साल थी। उनके गांव चापर, जो कि रंगरा प्रखंड के अंतर्गत आता है में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अंकित यादव के पार्थिव शरीर को फूलों से सजी गाड़ी में लाया जा रहा है, देशभक्ति के गीत गूंज रहे हैं और हर तरफ भारत माता की जय के उद्घोष हो रहे हैं। लेकिन इस वक्त गांव की हालत भी बेहद मुश्किल है, क्योंकि बाढ़ ने गांव को अपनी चपेट में ले लिया है। घर के अंदर पानी भर चुका है और बाहर भी पानी कमर तक है। जवान की पत्नी नाव से घर तक पहुंची । शहादत की खबर सुनकर अंकित के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। बाढ़ की वजह से गांव के बाहर टेंट लगाया गया है, जहां पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
अंकित यादव की शहादत
अंकित यादव भारतीय सेना में हवलदार के पद पर तैनात थे। उनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले के उरी सेक्टर के टिका पोस्ट में थी। 12 अगस्त की रात, अचानक आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी। सेना ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन इस दौरान आतंकियों की गोली अंकित को लग गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें घायल अवस्था में पहले AIP-06 और फिर देवी पोस्ट लाया गया, जहां सेना के रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर ने ढाई घंटे तक उनका इलाज किया। लेकिन दुर्भाग्यवश 13 अगस्त की सुबह 6:15 बजे अंकित ने अंतिम सांस ली।
परिवार की कहानी
अंकित यादव के बड़े भाई निरंजन यादव ने बताया अंकित 2009 में सेना में भर्ती हुए थे। उनका सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें। भाई की शहादत पर दुख तो है लेकिन यह हमारे परिवार और जिले के लिए गर्व की बात है। उन्होंने आगे कहा छोटे भाई की शहादत पर मुझे गर्व है। एक महीने पहले अंकित छुट्टी पर घर आए थे और 15 दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे थे।
अंकित यादव के है दो बच्चे
शहीद अंकित यादव की शादी 2017 में कटिहार जिले के काढ़ा गोला की रहने वाली रूबी कुमारी से हुई थी। उनके दो छोटे बेटे हैं- उत्कर्ष (4) और उपांश (2) । पत्नी रूबी अपने बच्चों के साथ कटिहार में रहती हैं। शहादत की खबर मिलने के बाद रूबी के भाई उन्हें कटिहार से लेकर घर आ रहे हैं, लेकिन अभी तक शहीद की पत्नी को इस दुखद समाचार की जानकारी नहीं दी गई है।
शहीद की अंतिम यात्रा
आज जब अंकित यादव का पार्थिव शरीर घर आ रहा है, तो पूरे गांव में शोक और गर्व का माहौल है। हर दिल में उनके बलिदान के लिए सम्मान और श्रद्धा का भाव है। यह न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे जिले के लिए एक गर्व की बात है कि उन्होंने देश की सेवा में अपनी जान दी।
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