पटना। जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बिहार के लाल, सारण जिले के वीर सपूत सिपाही छोटू शर्मा शहीद हो गए। वे राष्ट्रीय राइफल्स की 24वीं बटालियन में तैनात थे और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत ड्यूटी पर थे। दुश्मनों से लोहा लेते हुए उन्हें सिर में गोली लगी, जिसके चलते वे वीरगति को प्राप्त हुए।
सोमवार शाम उनका पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट लाया गया, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर और राजकीय सम्मान दिया गया । इस दौरान बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी सहित कई नेताओं और अधिकारियों ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सेना के काफिले के साथ उनका पार्थिव शरीर दानापुर छावनी ले जाया गया।
मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार सारण जिले के बेला शर्मा टोला, उनके पैतृक गांव में किया जाएगा। दिघवारा गंगा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
परिवार की रीढ़, मां-बेहनों के थे सहारा
छोटू शर्मा चार भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके पिता का निधन पहले ही हो चुका था। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। उनके दो बड़े भाई प्राइवेट नौकरी करते हैं, जबकि तीसरे नंबर का भाई मूक-बधिर है। छोटू ही परिवार के इकलौते सदस्य थे जो सरकारी नौकरी में थे। उनकी कमाई से ही घर चलता था।
नई शादी, अधूरी रह गई जिंदगी
5 मई 2025 को छोटू की शादी सुष्मिता से हुई थी। शादी के कुछ ही दिन बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना होना पड़ा। 11 मई को वे ड्यूटी पर गए थे और 7 सितंबर को छुट्टी लेकर घर लौटने वाले थे। लेकिन उससे पहले ही उनका पार्थिव शरीर लौट आया।
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान
छोटू शर्मा ने जिस साहस और समर्पण के साथ अपनी ड्यूटी निभाई, वह हर देशवासी को गर्व महसूस कराता है। उन्होंने न सिर्फ आतंकियों से लड़ते हुए देश की रक्षा की, बल्कि अपने परिवार के लिए भी मिसाल बनकर गए।
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