रायपुर। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व विभिन्न जनसंगठनों द्वारा कृषि कानून में बदलाव व बिजली कानून को वापस लेने की मांग दिल्ली की सीमाओं पर कर रहे हैं. किसान आंदोलन में 22 से अधिक किसानों की शहादत हो गई है. इसके बावजूद भारत सरकार अपने अड़ियल रुख पर अड़े हुए हैं. केंद्र सरकार इस आन्दोलन के खिलाफ दुष्प्रचार कर अपने पिट्ठू संगठनों से समर्थन के नाटक करने, ज्ञापन दिलवाया जा रहा है. साथ ही पूरे सोशल मीडिया में अपने आईटी सेल के पेड लोगों से आंदोलनकारियों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी, अर्बन नक्सली जैसे घिनौने आरोप लगाकर बदनाम की जा रही है.

रायपुर में नगर निगम कार्यालय स्थित गार्डन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने 20 दिसंबर को मानव श्रृंखला का निर्माण करने का आव्हान किया है. इसमें इंटक, एटक, सीटू, एच एम एस, एक्टू, बैंक, बीमा, राज्य केंद्र कर्मचारियों के साथ ही वाम डाल, रंगकर्म, साहित्य, कला, पत्रकारिता और समाज के प्रत्येक हिस्से से जुड़े आम नागरिक भी शिरकत करेंगे.

सीटू के अध्यक्ष बी सान्याल,  राज्य सचिव धर्मराज महापात्र, इंटक अध्यक्ष संजय सिंह, एटक महासचिव हरनाथ सिंह, एचएमएस कार्यकारी अध्यक्ष, एचएस मिश्रा, एक्टू महासचिव बृजेंद्र तिवारी, तृतीय वर्ग शा़ कर्म संघ के अध्यक्ष राकेश साहू, एस टी यू सी के सचिव एस सी भट्टाचार्य, बीमा कर्मी नेता वी एस बघेल, अलेक्जेंडर तिर्की,  सुरेन्द्र शर्मा, केन्द्रीय कर्म नेता आशुतोष सिंह, दिनेश पटेल, राजेंद्र सिंह, मानिक राम पूराम, बी एस एन एल के महासचिव आर एन भट्ट, बैंक कर्मी महासचिव शिरीष नलगुंडवार, डी के सरकार,  मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के नवीन गुप्ता, प्रदीप मिश्रा, विभाष पैतुंडी, एस एफ आई के राजेश अवस्थी, जनवादी नौजवान सभा के प्रदीप गभने, शीतल पटेल, मनोज देवांगन, जनवादी महिला समिति की गंगा साहू, अंजना बाबर, दलित शोषण मुक्ति मंच के रतन गोंडाने, इप्ता के मिन्हास असद, अरुण काठोटे, निसार अली, शेखर नाग, गांधी सेवा संस्थान के विक्रम सिंघल ने किसानों के साथ धोखाधड़ी करने वाले प्रतिगामी और किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग करते कहा कि   किसानों का यह आंदोलन न केवल भारतीय कृषि के हित में है बल्कि यह हमारे भोजन की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है. भंडारण की सीमा हटाने का अर्थ काला बाजारियों  को लूट की खुली छूट देना है.   सरकार स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप से लागू करके किसानों के साथ न्याय करे.

समस्त संगठनों ने नागरिक समाज के प्रत्येक हिस्से से इस न्याय युद्ध में किसानों का साथ देने और शहीद किसानो को श्रद्धांजलि देने इसमें शामिल होने की अपील की है. ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के संयोजक धर्मराज महापात्र ने किसान आंदोलन के आव्हान के तहत  20 दिसम्बर के इस प्रतिरोध सहित अदानी, अम्बानी के उत्पादों का सम्पूर्ण बहिष्कार करने को कामयाब बनाने की अपील की.