दिल्ली. नवरात्र के पावन महिने में मीट की ब्रिकी पर सरकार ने रोक लगाया था. जिसके बाद से नॉनवेज प्रेमी इस प्रतिबंध को लेकर कानून की शरण ले रहे है. कानून में अपने अधिकार की बात करते हुए कह रहे हैं कि संविधान उन्हें मटन खाने की इजाजत देता है.

क्या पास है मटन खाने के कानूनी अधिकार ?

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने दिल्ली में मीट बैन को लेकर अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि भारत का संविधान उन्हें ये अधिकार देता है कि वे जब मर्जी चाहे मीट खा सकती हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘मैं दक्षिण दिल्ली में रहती हूं, संविधान मुझे मटन खाने की इजाजत देता है, इसके साथ ही मीट शॉप को खोलने की आजादी भी देता है. बता दें कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन ने नवरात्रि के दौरान नगर निगम क्षेत्र में शराब और मटन की दुकानों को बंद करने की मांग की था.

मीट खाना – नही खाना आपका निजी मामला नहीं.

दक्षिण दिल्ली के मेयर मुकेश सुर्यन ने मटन की दुकानों को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया है. चाहे संविधान में लिखा हो या कही भी लिखा हो पर नवरात्र तक मीट शॉप बंद रहेगी. मीट खाने का मामला कोई निजी नहीं है, यह जन हित को ध्यान में रखते हुए बंद किया गया है. इसके बाद भी जिसे खाना है खाए जब मिलेगा नहीं तो लोग खाएंगे कैसे. बता दें कि कुछ लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि कुछ लोगों ने इस पर कानून की बात कही है.

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