अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के मऊगंज में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। तीन माह की मासूम मानसी यादव की मौत के मामले में अस्पताल की कथित लापरवाही तो पहले ही चर्चा में थी। लेकिन अब जांच रिपोर्ट ने पूरे सिस्टम की सच्चाई उजागर कर दिया है। जिसमें एक जिंदा युवक को मृत घोषित कर दिया गया और असली मृतक बच्ची का नाम रिपोर्ट से ही गायब कर दिया गया।

तीन माह की मासूम की मौत, अस्पताल पर लापरवाही के आरोप

घटना 6 नवंबर की है। वाबनगढ़ ग्राम निवासी विकास यादव अपनी तीन माह की भांजी मानसी यादव को लेकर सुबह 6 बजे से ही मऊगंज के सरकारी अस्पताल के चक्कर काट रहा था। परिजनों के अनुसार उस वक्त अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। वे बच्ची को लेकर प्राइवेट अस्पताल तक गए, इधर उधर चक्कर लगाते रहे। तड़पती बच्ची के लिए सहारा ढूंढते रहे, लेकिन कही भी इलाज नहीं मिला और लगातार बिगड़ती हालत के बाद सुबह करीब 9 बजे जब वे सरकारी अस्पताल लौटे, तो ओपीडी में पर्ची कटवाने के बाद नर्स ने कहा कि “बच्ची को रीवा मेडिकल कॉलेज ले जाइए।” परिजनों के मुताबिक इसी दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया।

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जांच के आदेश, लेकिन ‘कागजों पर’ हुई कार्रवाई

इस घटना की खबर लल्लूराम डॉट कॉम पर प्रकाशित होते ही प्रशासन हरकत में आया और तत्काल जांच के निर्देश दिए गए। कलेक्टर के आदेश पर एसडीएम मऊगंज राजेश मेहता को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच के शुरुआती दौर में एसडीएम ने मीडिया से कहा था कि “जांच तब तक पूर्ण नहीं होगी, जब तक पीड़ित पक्ष का बयान दर्ज नहीं किया जाता।”

लेकिन हैरानी की बात यह है कि न तो पीड़ित परिवार को जांच की सूचना दी गई, न ही उनके बयान लिए गए। और अंततः फाइलों में जांच को “पूर्ण” मानकर रिपोर्ट भेज दी गई। आपको बता दे कि ये वही एस डी एम राजेश मेहता है जिन्होंने अभी जांच के दौरान हर्रहा में सरकारी जमीन को भी निजी  जमीन बता दिए थे। 

मृतक बच्ची की जगह उसके मामा को दिखा दिया गया मृत!

मिली जानकारी के अनुसार, जांच प्रतिवेदन में लिखा गया कि “विकास यादव, उम्र 3 माह, को 6 नवंबर की सुबह 9 बजे अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच कर उसे रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया।” जबकि हकीकत यह है कि विकास यादव वही युवक है जो मृत बच्ची मानसी यादव का मामा है जीवित है, स्वस्थ है, और वर्तमान में अपने गांव में खेती कर रहा है। यानी जांच रिपोर्ट में तीन माह की बच्ची मानसी यादव का नाम तक दर्ज नहीं किया गया, बल्कि जिंदा युवक विकास यादव को मृत घोषित कर दिया गया।

एक ही डॉक्टर ने इलाज और रेफर किया

ओपीडी पर्ची और रेफर रिपोर्ट में एक और गड़बड़ी सामने आई है। पर्ची में इलाज करने वाले emergency के डॉक्टर संजय पटेल और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शर्मा दोनों लोग जब  अस्पताल में मौजूद थे और शिशु चिकित्सक के द्वारा भी परामर्श दिया गया है तब ओ पी डी के पर्ची में सिर्फ एक डॉक्टर के ही हस्ताक्षर क्यों मौजूद है , सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घटना के समय डॉ. मनीष शर्मा अस्पताल में मौजूद ही नहीं थे।इससे स्पष्ट है कि जिस चिकित्सक ने इलाज किया, उसी के नाम से रेफर भी कर दिया गया, जो गंभीर अनियमितता मानी जाती है।

अस्पताल प्रबंधन ने रिपोर्ट का हवाला देकर की शिकायत

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन ने इस गड़बड़ रिपोर्ट का हवाला देते हुए लल्लूराम डॉट कॉम और न्यूज़ 24 के संवाददाता के खिलाफ कलेक्टर और थाना प्रभारी से शिकायत दर्ज करने का आवेदन दिया गया है। शिकायत में कहा गया कि पत्रकार ने गलत खबरें प्रकाशित की हैं, जबकि असल में खुद अस्पताल और जांच अधिकारी की रिपोर्ट में ही तथ्यात्मक भूलें हैं। इतना ही नहीं, यही त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट कलेक्टर मऊगंज और पीआरओ मऊगंज की आधिकारिक फेसबुक आईडी से भी शेयर की गई, जिससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल और गहराए हैं।

अब उठे कई गंभीर सवाल

जब पीड़ित पक्ष को जांच की सूचना ही नहीं दी गई, तो जांच कैसे “पूर्ण” मानी गई?क्या अस्पताल प्रबंधन अपने ऊपर लगे आरोपों को दबाने के लिए जांच रिपोर्ट में हेराफेरी कर रहा है?जिंदा व्यक्ति को मृत दिखाने जैसी गलती ‘साधारण त्रुटि’ है या जानबूझकर की गई हेराफेरी?क्या प्रशासन अब इस पूरे प्रकरण की दोबारा निष्पक्ष जांच कराएगा?

 पीड़ित परिवार का कहना है कि ‘हमारी बच्ची की जान अस्पताल की लापरवाही से गई। अब जांच में भी हमें शामिल नहीं किया गया। और रिपोर्ट में मेरे ही नाम से बच्ची को मृत बता दिया गया और मुझे ही मार दिया गया ये कैसा न्याय है?’

मऊगंज का यह मामला न केवल चिकित्सा तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे प्रशासनिक स्तर पर जांचें ‘कागजों’ में पूरी कर दी जाती हैं। अब सवाल यह है कि क्या कलेक्टर इस ‘मृत रिपोर्ट’ को फिर से जीवित करेंगे या यह फाइल भी बाकी मामलों की तरह अलमारी में धूल खाती रह जाएगी?

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