अभय मिश्रा, मऊगंज। एक तरफ प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांति की बात करता है और दूसरी तरफ मऊगंज जैसे जिले हैं, जहां इलाज ज़मीन पर होता है। मरीज ठेले पर अस्पताल पहुंचाए जाते हैं और सड़क के अभाव में लोग दम तोड़ देते हैं। सवाल ये है कि क्या मऊगंज में सिस्टम नाम की कोई चीज बची है या नहीं? आइए दिखाते हैं आपको मऊगंज की स्वास्थ्य व्यवस्था की वो तीन तस्वीरें, जो आपको झकझोर कर रख देंगी…

तस्वीर नंबर एक: मऊगंज नगर की है, जहां एक महिला ज़हरीले कनैल के फल खा लेती है, हालत बिगड़ती है लेकिन ऐम्बुलेंस नहीं आती। मजबूर पति ठेले पर लादकर पत्नी को अस्पताल पहुंचाता है। सोचिए, जहां गाड़ी आसानी से पहुंच सकती थी, वहां भी कोई मदद नहीं पहुंची।

तस्वीर नंबर दो: जन आरोग्य केंद्र की है, जहां मरीज के लिए बेड नहीं है, तो डॉक्टर ने उसे फर्श पर लिटा दिया और वहीं इंजेक्शन लगाया। शर्मनाक बात ये कि डॉक्टर ने सरकारी दवाएं देकर पैसे भी वसूले, सब कुछ खुलेआम!

तस्वीर नंबर तीन: ग्राम पंचायत जमुई की है, जहां सड़क नहीं थी और इलाज वक्त पर नहीं मिल सका। 45 वर्षीय बुजुर्ग शंकर पांडे को चारपाई से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई। सवाल ये है कि क्या सिर्फ सड़क न होने से किसी की जान यूं ही चली जानी चाहिए? इन तस्वीरों के सामने आने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल उठ रहे हैं।

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