लखनऊ. ईद उल फितर (Eid ul Fitr) का चांद आज देखा जाएगा. मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद चांद देखेंगे. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया से देईद का चांद देखा जाएगा. मौलाना खालिद रशीद ने ईद पर एडवाइजरी जारी की है. जिसमें उन्होंने कहा कि ईद की नमाज सड़क पर ना पढ़े. ईद की नमाज पढ़ने के समय से मस्जिद पहुंचे. ईद की नमाज ईदगाह में ही अदा करें.

रमज़ान एक बेहद पवित्र और आध्यात्मिक महीना होता है. इस समय मुस्लिम समाज में सभी लोग रोज़े रख रहे होते हैं. जैसे-जैसे रमज़ान का महीना आगे बढ़ता है, ईद-उल-फितर की खुशी और इंतज़ार भी बढ़ता जाता है. ईद-उल-फितर का त्योहार इस्लामी कैलेंडर के अनुसार शव्वाल महीने के पहले दिन मनाया जाता है, जो रमज़ान के पवित्र महीने के समापन का प्रतीक है.

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ईदी देने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई

ईदी (ईद पर बच्चों और प्रियजनों को पैसे या उपहार देने की परंपरा) इस्लामी इतिहास में बहुत पुरानी मानी जाती है. कहा जाता है कि यह परंपरा मुगल शासकों के दौर में लोकप्रिय हुई, जब वे अपने परिवार और दरबारियों को इनाम देते थे. आज यह परंपरा दुनियाभर में देखी जाती है, खासकर बच्चे ईदी मिलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

चांद देखने की परंपरा और इसके पीछे की वजह

ईद-उल-फितर की तारीख इस्लामी कैलेंडर के अनुसार चांद देखने पर निर्भर करती है, इसलिए दुनिया के अलग-अलग देशों में ईद अलग-अलग दिनों में हो सकती है. कई देशों में आधिकारिक रूप से चांद देखने की कमेटी बनाई जाती है, जबकि कुछ जगहों पर लोग टेलीस्कोप और आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी उपयोग करते हैं.