दिल्ली। इन दिनों एक युवा और प्रतिभाशाली मुस्लिम लड़की आयशा की खुदकुशी ने समाज में नई बहस छेड़ दी है। मुस्लिम मौलानाओं ने अब दहेज रूपी दानव के खिलाफ मोर्चा संभाला है।
आयशा की मौत से दुखी इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन और मुस्लिम जगत के सम्मानित मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ की ऐशबाग स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज से पहले खुतबे में मुसलमानों से दहेज की मांग करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने निकाह पढ़ाने वाले काजियों से गुजारिश की कि वह निकाह का खुतबा पढ़ाने से पहले यह यकीन कर लें कि इस शादी में दहेज की मांग तो नहीं की गई है। मौलाना ने दहेज को गैर इस्लामी और एक जुर्म करार दिया। शहर की कई मस्जिदों में भी जुमे के खुतबे में लोगों से दहेज रहित शादियां करने की अपील की गई।
मौलाना ने कहा कि कहा कि इस्लामी शरीअत की नजर में निकाह इबादत है। उन्होंने कहा कि मस्जिद में मौजूद मुसलमान इस बात का वादा करें कि शादी में न तो दहेज लेंगे और न दहेज देंगे। दहेज लेना इस्लामी शरीअत के खिलाफ होने के साथ ही जुर्म है। कानून में दहेज की मांग करने वाले को सात साल या उम्र कैद की सजा सुनाई जा सकती है। इसकी वजह से कौम की एक होनहार बच्ची की जान चली गई। इसलिए दहेज के खिलाफ हर सच्चे मुसलमानों को खड़ा होना होगा।