आशुतोष तिवारी, सुकमा। सुकमा यह नाम सुनते ही जेहन में नक्सलवाद की तस्वीरें घूमने लगती है. कई खूनी संहार सुकमा ने देखा है. लेकिन बदलते इस समय मे सुकमा अब नक्सल ही नहीं अपनी प्रतिभाओं के लिए जाना जाने लगा है. चाहे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सहदेव हो या दोरनापाल की बेटी डॉक्टर माया.

दरअसल, बस्तर के अंदरूनी इलाकों में इलाज के अभाव से कई ग्रामीणों की मृत्यु हो जाती है. बाहरी डॉक्टर अपनी सेवा बस्तर में नहीं देना चाहते इसके पीछे का कारण भी नक्सल भय है. लेकिन नक्सल प्रभावित जिले की माया कश्यप अब अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर अपनी सेवा सुकमा जिला अस्पताल में देगी जिससे अपनी सपनों को पूरा करते हुए माया कश्यप डॉक्टर बनकर अपने ही जिलेवासियों की सेवा करेगी. राज्य शासन ने सुकमा जिले को दस डाक्टरों को नियुक्ति दी है. जिसमें डॉक्टर माया कश्यप का भी नाम शामिल है. माया अपने नाम को देख खुशी जाहिर करते हुए अपने सपने के बारे में बताया.

डॉक्टर माया कश्यप ने बताया कि बचपन से ही कई मुश्किल हालातों का सामना करते हुए अपने सपने को पूरा किया. बचपन में जब माया कक्षा छठवीं में थी तो उसके सिर से पिता का साया उठ गया था. जिसके बाद काफी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी. बावजूद माया ने अपने सपने को पूरा करने में जुटी रहीं. अब वो जिले में ही अपने जिले वासियों को डॉ. के रूप में सेवा देंगी.

माया ने बताया की उनकी पढ़ाई राज्य के अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज में पूरी हुई. जो कि सुकमा से आने जाने में भी दिक्कत होती थी और कहा कि सुकमा जिला नक्सल प्रभावित होने के कारण बाहर से कोई यहां आना नहीं चाहता इसलिए मैं यही की हूं और यहां रहकर ही अपनों की सेवा करूंगी. इस बात से सुकमा जिलेवासियों में खुसी की लहर भी देखी जा रही है.

दोरनापाल की बेटी डॉक्टर माया कश्यप अब अपने ही जिले के जिला अस्पताल में अपनी सेवा देने जा रही है. भाजपा की छत्तीसगढ़ सरकार ने जिले को दस डाक्टरों की सौगात दी है. जिसमें दोरनापाल की बेटी को जिला अस्पताल में नियुक्त किया गया है. जिसे बधाई देने दोरनापाल भाजपा मंडल और सभी भाजपाइयों ने पुष्प गुच्छ एवं मिठाई खिलाकर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दिया है.