विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की सियासत के मायने कभी अपने कैडर के वोटरों के दम पर बदल देने वाली मायावती अब आकाश के दम पर ही भविष्य की ओर ताक रही है. लेकिन एक सवाल बार बार हर किसी के जहन में उठ रहा है कि क्या आकाश के अलावा पार्टी में और कोई भी काबिल नेता नहीं है जो मायावती के मन मुताबिक काम कर सके?

आकाश ही क्यों?
दरअसल, मायावती ने आकाश और उनके रिश्तेदार को पार्टी से बाहर निकाला दिया था और इस बात का हवाला दिया गया था कि आकाश और उनके रिश्तेदार पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. पार्टी में एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि आकाश को मायावती लगातार परख रही थीं. उनको पार्टी से बाहर निकालने पर आकाश कभी भी बगावती नहीं हुए. मायावती को लेकर कोई बयान भी नहीं दिया. जिस पर की बहन जी खुश हुई और उनकी पार्टी में वापसी हो गई है. अब वो फिर से जोश के साथ काम कर रहे हैं.
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सड़क से संगठन तक का जिम्मा
राजनीति में हमेशा ही आक्रामक रुख और फायरब्रांड नेताओं को जनता का खूब प्यार मिलता है. इसकी एक बानगी या उदाहरण खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. जो अपने सम्बोधनों में हमेशा धार रखते हैं. इसके अलावा मायावती और मुलायम सिंह यादव की राजनीति भी कमोबेश उनके बयानों पर ही आधारित रही है. इसलिए मायावती आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर रावण के सामने आकाश आनंद का प्रयोग करने जा रही है.
शिफ्ट हो रही जिम्मेदारी!
27 के विधानसभा में अगर बसपा कुछ कमाल दिखाती है और अपनी सीटों को बढ़ाने में कामयाब होती है तो निश्चित ही आकाश का कद भी उसी आधार पर तय किया जाएगा. इसके साथ ही आकाश आनंद पर दलितों को पार्टी से जोड़ना और कार्यक्रम तय करने की जिम्मेदारी है. सड़क से संगठन तक कि जिम्मेदारी अब मायावती युवा आकाश आनंद के ऊपर धीरे-धीरे शिफ्ट करती दिख रही हैं.
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