रायपुर- चुनावी साल में एंटी इनकंबेसी दूर करने के इरादे से जनसंपर्क पदयात्रा पर निकले बीजेपी विधायकों को शहरी क्षेत्रों में यदि किसी तरह की शिकायतों से दो चार होना पड़ा है, तो वह है शहर की चौपट साफ-सफाई से. सर्वाधिक शिकायतें राजधानी रायपुर से निकलकर सामने आई हैं. शहर की चार विधानसभा सीटों में से तीन विधानसभा रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण और रायपुर पश्चिम विधानसभा में यह शिकायत आम रही है. खुद बीजेपी विधायक यह कहते नजर आते रहे हैं कि साफ-सफाई को लेकर जनता में भारी नाराजगी है. जनता की नाराजगी के बीच अब रायपुर शहर के महापौर प्रमोद दुबे ने बीजेपी विधायकों पर ठीकरा फोड़ा हैं. दुबे ने कहा है कि साफ-सफाई की व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए उन्होंने शासन से 500 कर्मचारियों की मांग की थी, लेकिन बदले में उन्हें केवल 300 कर्मचारी ही मिलें. ऐसे में साफ-सफाई की व्यवस्था प्रभावित तो होगी ही.
प्रमोद दुबे ने कहा कि यह सफाई कर्मचारी मैं ना तो मैं शहर के विधायकों के घर के लिए मांग रहा था और ना ही अपने घर के लिए. बल्कि इनकी मांग शहर के वार्डों की साफ-सफाई के लिए थी. दो सालों से मैं मांग करता रहा, तब ये लोग ( बीजेपी विधायक) हवा में थे. लेकिन अब जब जमीन पर आए हैं, तो जमीनी हकीकत पचा चल रही है. संसाधन की जितनी मांग की जाती रही है, उतना कभी नहीं मिला. रायपुर नगर निगम संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. यह मैं नहीं कह रहा बल्कि केंद्र सरकार की टीम ने अपनी सर्वे के बाद दी गई रिपोर्ट में कहा है कि शहर को साफ-सफाई के लिए जितनी संसधानों की जरूरतें हैं, उतना नहीं है.
महापौर ने कहा कि निगम की व्यवस्था यदि अब भी सुधारनी है, तो विधायक पहल करें और 200 सफाई कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने में सहयोद दें. प्रमोद दुबे ने कहा कि शासन 2011 की जनसंख्या के हिसाब से आंकलन करता है. इस आंकलन के तहत एक हजार की आबादी के पीछे तीन कर्मचारियों का रेशियो तय था. लेकिन आज हम 2018 में पहुंच गए हैं. इतने सालों में शहर की जनसंख्या भी तेजी से बढ़ी है. राजधानी में औसतन बीस लाख प्लोटिंग पाप्युलेशन हैं.
अपनी नाकामी सरकार पर ना थोपे महापौर- सुंदरानी
इधर महापौर के तमाम आरोपों पर सफाई देते हुए बीजेपी विधायक और प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने कहा है कि जमीनी हकीकत का जिम्मा जनता ने महापौर को दिया है. सफाई और पानी की व्यवस्था निगम को करनी है. जिसके मुखिया महापौर प्रमोद दुबे हैं. सफाई कर्मचारियों की व्यवस्था भी निगम प्रशासन को खुद से करनी है. रायपुर नगर निगम क्षेत्र में पाइप लाइन, टंकी निर्माण जैसे कई बड़े काम या तो केंद्रीय फंड के जरिए पूरा किया जा रहा है या फिर राज्य के फंड से. अपने बूते निगम ने कितना खर्च किया है. यह मै प्रमोद दुबे से पूछता हूं. सुंदरानी ने कहा कि आज भी तीन सौ करोड़ रूपए का फंड निगम के पास हैं, जिसे निगम खर्च नहीं कर पा रहा है. महापौर प्रमोद दुबे नाकामी की विफलता का ठीकरा सरकार पर फोड़ना चाहते हैं. बीजेपी विधायक कहीं जिम्मेदार नहीं है. श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्मार्ट सिटी के लिए रायपुर का नाम लेते हैं, तो क्रेडिट लेने प्रमोद दुबे खुद सामने आ जाते हैं, लेकिन जब बात सफाई की होती है, तो इसका ठीकरा बीजेपी विधायकों पर फोड़ा जाता है. जबकि इसकी भी नैतिक जिम्मेदारी उन्हें खुद लेनी चाहिए और यदि शहर को सुंदर बनाने के लिए बीजेपी विधायकों की मदद की जरूरत है. तो सकारात्मक चर्चा करनी चाहिए.