सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। नीट की परीक्षा में छत्तीसगढ़ का कटऑफ कम होने का फ़ायदा शातिर लोग बख़ूबी उठा रहे हैं. दोहरे मूल निवास प्रमाण पत्र (Domicile) के जरिए एमबीबीएस के राज्य कोटे की सीट हासिल कर स्थानीय लोगों का हक छिन रहे हैं. काउंसलिंग कमेटी को इसकी भनक तक नहीं लगी.
इन शातिर छात्रों ने नीट (NEET) परीक्षा रजिस्ट्रेशन के लिए भरे गए फ़ॉर्म में अपने होम स्टेट का निवास प्रमाण पत्र आधार कार्ड अपलोड किया गया है, और सीट पाने के लिए छत्तीसगढ़ का मूल निवास प्रमाण पत्र दिया गया है इस तरह से इन लोगों का मेरिट या सलेक्शन लिस्ट में है दो दो राज्य की सूची में नाम है..लल्लूराम डॉट कॉम के पास दोहरे डोमिसाइल से प्रवेश लेने वाले छात्रों की तमाम दस्तावेज और नाम मौजूद है,
स्थानीय जानकारों ने सूचना मिलने पर जब अलग-अलग राज्यों की मेरिट लिस्ट को खंगाला तो पता चला कि मध्य प्रदेश के 10, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के दो-दो और महाराष्ट्र के एक छात्र ने दोहरे मूल निवास प्रमाण पत्र से प्रवेश लिया है. इस तरह से एक ही साल में 17 स्थानीय छात्रों का हक छिना गया है. सालों से इस विषय पर चर्चा होने के बाद भी जिम्मेदारों की लापरवाही गहरी साजिश की ओर इशारा कर रही है.
लल्लूराम डॉट कॉम ने कॉउंसलिंग के पहले ही खबर प्रकाशित कर अगाह किया था कि हर साल स्थानीय लोगों का हक छीना जा रहा है, इस वजह से स्थानीय छात्र वंचित हो जा रहे हैं, यही एक कारण है जिसके वजह से प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है.
आईएमए के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि जब नीट की परीक्षा के आवेदन करने के दौरान दी गई जानकारी- आधार नंबर, पता सही होता है, लेकिन कुछ लोग अपने परिजनों सहारे छत्तीसगढ़ का निवास प्रमाण पत्र गलत तरीके से बनाकर राज्य कोटे की सीट पर हक जमा लेते हैं, क्योकी दूसरे राज्य में आसान नहीं होता है, कटऑफ भी अन्य राज्य के अपेक्षा छत्तीसगढ़ का कम होता है, इसलिए छत्तीसगढ़ निशाने में होता है..इसको लेकर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री मिलेंगे.
डीएमई आरके सिंह ने कहा कि कमेटी बनाकर जांच किया जाएगा, काउंसलिंग कमेटी को फिर से दस्तावेज का सत्यापन का आदेश दिया जाएगा, गलत पाए जाने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, जिन लोगों के नाम सामने आएंगे उनका नाम दस्तावेज छानबीन के लिए कलेक्टरों को भेजा जाएगा.
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