दिल्ली में बढ़ती आवारा कुत्तों(stray dogs) की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के आदेश के बाद इस मुद्दे पर लगातार बहस जारी है कि आखिर इसे सरलता से कैसे सुलझाया जाए. इसी बीच, दिल्ली नगर निगम (MCD) भी सक्रिय हो गया है और रोजाना बैठकों के जरिए समाधान तलाश रहा है. मेयर राजा इकबाल सिंह(Raja Ekbal Singh)ने इसे “बड़ा और संवेदनशील मुद्दा” करार देते हुए कहा कि केवल सड़कों से कुत्तों को हटाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें आश्रय स्थलों पर भोजन, पानी और देखभाल उपलब्ध कराना भी उतना ही जरूरी है. मेयर ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है और निगम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही कदम उठाएगा.

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मानवीय दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील विषय

मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि फिलहाल नगर निगम की प्राथमिकता आक्रामक और उग्र कुत्तों की पहचान कर उन्हें पकड़ने की है, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने बताया कि निगम आश्रय स्थलों की व्यवस्था पर लगातार काम कर रहा है और हर बैठक में इस बात पर चर्चा हो रही है कि पशुओं की देखभाल को कैसे बेहतर बनाया जाए. मेयर ने स्पष्ट किया कि यह केवल प्रशासनिक चुनौती नहीं है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील विषय है, इसलिए समाधान खोजने में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है.

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अब तक की कार्रवाई और चुनौतियां

नगर निगम की स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने बताया कि 10 अगस्त से अब तक करीब 800 कुत्तों को पकड़कर नसबंदी के लिए आश्रय गृहों में भेजा गया है. उन्होंने कहा कि 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश सुरक्षित रखने के बाद से अब तक कोई नया निर्देश नहीं मिला है. इसी कारण निगम फिलहाल आक्रामक, बीमार और हमलावर कुत्तों को पकड़ने का अभियान जारी रखे हुए है. MCD अधिकारियों ने यह भी माना कि इस प्रक्रिया में कई बार कुत्ता प्रेमियों के हस्तक्षेप के चलते अभियान को अंजाम देने में कठिनाइयाँ आती हैं.

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MCD का रुख

MCD का कहना है कि उसका मुख्य उद्देश्य इंसानों और पशुओं दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. निगम ने स्पष्ट किया है कि जब तक अदालत से कोई नया आदेश नहीं आता, तब तक मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार ही कार्रवाई जारी रहेगी.

विशेषज्ञों का मानना है कि आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान केवल नसबंदी और सुरक्षित आश्रय स्थलों के विकास से ही संभव है. उनका कहना है कि केवल पकड़ने या हटाने से स्थिति नहीं बदलेगी. इसके साथ ही नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता भी इस चुनौती से निपटने में अहम भूमिका निभा सकती है.