नगर निगम दिल्ली (MCD) ने दिल्ली सरकार को एक चिट्ठी लिखकर बड़ा प्रस्ताव दिया है। निगम का कहना है कि अगर राजधानी की सीमाओं से टोल टैक्स की वसूली रोक दी जाती है ताकि ट्रैफिक जाम कम हो सके, तो सरकार को हर साल 900 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देनी होगी।
इस राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए MCD ने दो विकल्प सुझाए हैं—
सरकार हर साल 900 करोड़ रुपये का भुगतान करे, जिसमें हर साल 3-4% महंगाई आधारित बढ़ोतरी जोड़ी जाए।
दिल्ली में संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर लगने वाली ट्रांसफर ड्यूटी में 1% की वृद्धि की जाए।
MCD की ओर से भेजे गए इस पत्र में जून में हुई उस बैठक का भी हवाला दिया गया है, जिसमें केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने टोल बूथ हटाने की जरूरत पर जोर दिया था। निगम अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में टोल टैक्स मौजूदा नियमों के तहत वसूला जाता है, जबकि पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ECC) सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर व्यावसायिक वाहनों से लिया जाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमें अभी तक दिल्ली सरकार से इस प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं मिला है।”
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टोल टैक्स: दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूली की व्यवस्था दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 113(2) के तहत लागू है। इस प्रावधान के आधार पर राजधानी में प्रवेश करने वाले वाहनों से टोल लिया जाता है। यह प्रणाली वर्ष 2000 से प्रभावी है और आज तक जारी है।
ईसीसी (पर्यावरण मुआवजा शुल्क)
दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों पर टोल टैक्स के साथ-साथ ईसीसी (Environment Compensation Charge) भी लागू है। इसे वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शुरू किया गया था। यह शुल्क प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हतोत्साहित करने और राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से वसूला जाता है। साथ ही, इससे जुटाई गई राशि को सार्वजनिक परिवहन और पैदल यात्रियों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा विकसित करने में इस्तेमाल करने का प्रावधान है।
दिल्ली में टोल प्लाजा पर जाम की समस्या बरकरार
गाजीपुर, रजोकरी, बदरपुर और कालिंदी कुंज जैसे बड़े टोल प्लाजा पर अक्सर जाम की स्थिति देखने को मिलती है। दिल्ली में कुल 156 टोल प्लाजा हैं, लेकिन इनमें से 85% से ज्यादा ट्रैफिक सिर्फ 13 एंट्री पॉइंट से ही राजधानी में प्रवेश करता है। वर्ष 2019 में RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) आधारित टोल भुगतान अनिवार्य कर दिया गया था, ताकि वाहनों को रुकना न पड़े और जाम से राहत मिले। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि ईसीसी (पर्यावरण मुआवजा शुल्क) की वसूली के कारण अभी भी मालवाहक वाहनों को जांच के लिए रुकना पड़ता है।
एमसीडी अधिकारी ने बताया, “खाली वाहनों और आवश्यक सामान ले जाने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग दरें तय हैं, इसलिए जांच करना जरूरी होता है।” उन्होंने यह भी बताया कि ईसीसी व्यवस्था को और सरल व एकरूप बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।