लखनऊ। अयोध्या से 20 किमी दूर धन्नीपुर गांव में बनने वाली ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ के लिए मक्का से खास काली मिट्टी की ईंट भेजी गई है, इसमें सोने की ‘आयतें’ भी अंकित है. मक्का के ‘आब-ए-जमजम’ से शुद्ध की गई इस ईंट का उपयोग सभी संप्रदायों – देवबंदी, तब्लीगी, सुन्नी और सूफी – के मौलवियों की उपस्थिति में मस्जिद की नींव में किया जाएगा. इसे भी पढ़ें : चुनाव से एक दिन पहले बम धमाकों से दहला पाकिस्तान, 25 लोगों की मौत, 42 हुए घायल…
राम मंदिर का फैसला सुनाते समय सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने की बात कही थी. फैसले के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या से 20 किमी दूर धन्नीपुर गांव में यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की है. ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ के नाम से पहचानी जाने वाली इस मस्जिद का निर्माण अप्रैल महीने से शुरू होगी.
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मस्जिद विकास परिषद के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने कहा, “मस्जिद देश में “दुआ” और “दवा” का पहला केंद्र होगी, जो “मोहब्बत” और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देगी.” शेख पिछले हफ्ते हज से ईंट लेकर लौटे हैं, और अब इसे राजस्थान के प्रतिष्ठित सूफी तीर्थ अजमेर शरीफ ले जाने की योजना बना रहे हैं. शेख ने कहा, “मैं ईंट को मक्का और मदीना ले गया, जम जम से इसे शुद्ध किया और अब इसे अयोध्या ले जाने से पहले अजमेर शरीफ ले जाऊंगा.”
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दिलचस्प बात यह है कि वे सूफी संप्रदाय से जुड़े चिश्ती (भगवा) रंग में देश की सबसे बड़ी 21 फुट लंबी कुरान की भी योजना बना रहे हैं. शेख महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और 2018 से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं. वह पहले शिवसेना के साथ थे. यूपी सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने तीन महीने पहले उन्हें ऑल इंडिया राब्ता-ए-मस्जिद द्वारा मस्जिद के निर्माण की देखरेख के लिए विकास समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था.
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शेख के मुताबिक, मस्जिद की नींव देश-विदेश के सभी संप्रदायों के मौलवियों के सामने रखी जाएगी. शेख ने कहा, “हम केवल यही चाहते हैं कि सरकार मंजूरी को फास्ट-ट्रैक मोड पर रखे, और कुछ नहीं.” इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने अयोध्या विकास प्राधिकरण को अपनी प्रस्तुति में परियोजना लागत के रूप में ₹323 करोड़ का हवाला दिया था.
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शुरू में मुसलमानों और हिंदुओं दोनों से समर्थन मिला. फाउंडेशन के संयोजक अतहर हुसैन ने कहा कि हम पूरे भारत से मिली प्रतिक्रिया और वित्तीय सहायता से अभिभूत थे. कॉल करने वालों में 50% हिंदू हैं. लेकिन अब फंड की कमी मंडरा रही है, और यह शेख के सामने एक चुनौती है.
इस महीने मुंबई सम्मेलन में एक वेबसाइट लॉन्च करने के लिए तैयार शेख ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि धन की कोई कमी नहीं होगी क्योंकि मुस्लिम समुदाय उन्हें जुटाने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा कि नई वेबसाइट में एक क्यूआर कोड होगा – दुनिया में कहीं भी कोई भी भारतीय मस्जिद के अलावा अस्पताल से लेकर वृद्धाश्रम तक की परियोजनाओं के लिए दान कर सकेगा.
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