कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश का मेडिकल एजुकेशन सिस्टम संकट में है। नर्सिंग कॉलेजों के बाद अब पैरामेडिकल कॉलेजों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। प्रदेश में करीब 250 पैरामेडिकल कॉलेज बिना किसी विश्वविद्यालय संबद्धता (एफिलिएशन) के पिछले दो साल से छात्रों को एडमिशन दे रहे हैं। सत्र 2023-24 और 2024-25 के लिए हजारों छात्रों को बिना मान्यता के दाखिला दिया गया, जो नियमों का खुला उल्लंघन है। हैरानी की बात यह है कि जिन पतों पर फर्जी नर्सिंग कॉलेज चल रहे थे, उसी जगह कुछ पैरामेडिकल कॉलेज भी संचालित हो रहे हैं। 

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एफिलिएशन पोर्टल खुलने पर घोटाले का हुआ पर्दाफाश 

मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से सत्र 2023-24 के लिए एक भी पैरामेडिकल कॉलेज को संबद्धता नहीं मिली है, फिर भी ये कॉलेज अवैध रूप से पढ़ाई करा रहे हैं। यूनिवर्सिटी के एफिलिएशन पोर्टल खुलने पर इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। पैरामेडिकल काउंसिल की दोहरी नीति भी सवालों के घेरे में है। एक नियम में कॉलेजों को नए सत्र के लिए एडमिशन की अनुमति दी गई, जबकि दूसरे नियम में बिना एफिलिएशन के एडमिशन पर रोक की बात कही गई। न सिर्फ निजी, बल्कि सरकारी पैरामेडिकल कॉलेजों का भी यही हाल है। किसी भी सरकारी कॉलेज को सत्र 2023-24 की संबद्धता नहीं मिली, जबकि नियमों के तहत हर साल संबद्धता लेना अनिवार्य है। 

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हाईकोर्ट पहुंचा मामला 

यह मामला अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच चुका है। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन और रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाते हुए जवाब तलब किया है। कोर्ट ने मान्यता और एडमिशन प्रक्रिया पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है, जो 24 जुलाई को नर्सिंग घोटाले के मामले के साथ होगी। इस पूरे मामले ने मध्य प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन सिस्टम की पोल खोल दी है।  

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