पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। फर्जी गैर जमानती वारंट तैयार कर युवक से पैसों की वसूली करने वाले दो युवकों को पुलिस ने पकड़ने में कामयाबी पाई है. जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे दोनों आरोपी पूर्व में दो बार पीएमटी परीक्षा में फर्जीवाड़ा मुन्ना भाई प्रकरण में जेल जा चुके हैं.
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प्रार्थी खेमचंद थाना छुरा क्षेत्र ने थाना छुरा में आकर शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे अगस्त 2025 में डाक से एक नॉन बेलेबल वारंट प्राप्त हुआ था. आरोपी निखिल राज द्वारा झूठे प्रकरण में फंसाकर पैसा ऐठने के नियत से वारंट भेजा गया था. आरोपी ने प्रार्थी से संपर्क कर धमकी दिया गया कि दो लाख रुपए दे दो नहीं तो तुमको जेल भिजवा दूंगा, जिससे डरकर प्रार्थी के द्वारा माह अगस्त में ही आरोपी निखिल राज को एक लाख रुपए एवं डाक से प्राप्त नॉन बेलेबल वारंट दिया गया था.

इसके पश्चात् आरोपी एवं उसके अन्य साथी चन्द्रशेखर उर्फ चंदन सेन द्वारा प्रार्थी से लगातार जेल भेजने की धमकी देते हुए पैसे की मांग करने लगे. जिस पर प्रथम दृष्टिया अपराध का घटित करना पाये जाने से थाना छुरा में अपराध क्रमांक 183/2025 धारा 308(2) बीएनएस एवं अन्य सुसंगत धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया.
प्रार्थी की शिकायत पर थाना छुरा की टीम ने आरोपी कनसिंघी, थाना छुरा, जिला गरियाबंद निवासी चन्द्रशेखर उर्फ चंदन सेन को पकड़कर पूछताछ की, जिसमें अपने साथी आरोपी सिजारी खुर्द, थाना मउरानीपर, जिला झांसी, उप्र निवासी निखिल राज के ट्रेन से भागने की जानकारी दी. इस पर तत्काल ट्रेन के लोकेशन के आधार पर आरपीएफ बिलासपुर एवं पेण्ड्रारोड की मदद से आरोपी निखिल राज को पकड़ कर लाया गया.
दोनों आरोपियों ने पूछताछ में अपराध करना स्वीकार करते हुए बताया कि वे पूर्व से मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी हैं. बहुत ज्यादा खर्च करने की आदत के कारण भोले-भाले लोगों को विभिन्न तरीकों से झांसा देकर पैसा ऐठने का काम वर्ष 2009 से कर रहे हैं. उक्त प्रकरण में प्रार्थी एवं आरोपीगण से पुछताछ एवं प्राप्त साक्ष्य के आधार पर धारा 111, 318 (4), 338, 336 (3), 340 (1)(2) बीएनएस की धारा अपराध में जोड़ी गई है.
दोनों आरोपीगण के विरूद्ध राज्य एवं राज्य के बाहर अलग-अलग थानों में धोखाधड़ी के बहुत से अपराध पंजीबद्ध है. वे दोनों वर्ष 2007 में पीएमटी परीक्षा पास किये थे. जिसके बाद दोनों ने मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में एडमिशन लिया था. वहीं पर दोनों की प्रथम बार मुलाकात हुई थी.
इसके बाद बहुत जल्दी, बहुत अधिक धन कमाने के लालच में मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्रों ने लोगों को फर्जी तरीके से पीएमटी परीक्षा पास कराने और उसके एवज में अवैध धन कमाने के उदे्श्य से कुछ लोगों को दूसरे राज्यों से बुलाकर, पीएमटी परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी के जगह परीक्षा में बैठाकर पास कराने का ठेका लेने की शुरुआत करने की सोची.
इसी उदे्श्य से वर्ष 2009 के पीएमटी. परीक्षा में आरोपीगण द्वारा जिला महासमुंद में वास्तविक अभ्यर्थी की जगह दूसरे अभ्यर्थी को बैठाकर परीक्षा दिलवाया गया था. बाद में व्यापम द्वारा इसकी जानकारी होने पर दोनों आरोपियों सहित 9 लागों पर थाना कोतवाली महासमुंद में अपराध पंजीबद्ध किया गया था.
इसी प्रकार वर्ष 2010 के पीएमटी परीक्षा में आरोपीगण द्वारा जिला बिलासपुर में वास्तविक अभ्यर्थी की जगह दुसरे अभ्यर्थी को बैठाकर परीक्षा दिलवाया गया था. जिसमें जानकारी होने पर दोनों आरोपी सहित 8 लोगों पर थाना सरकंडा बिलासपुर में अपराध पंजीबद्ध किया गया था.
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