सुकमा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मरेलिया मुक्त बस्तर कार्यक्रम को सफल बनाने स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय चिकित्सा अधिकारी कर्मचारी लगातार कार्य कर रहे है. चिकित्सा स्टाॅफ क्षेत्र के दूरस्त और दुर्गम वन क्षेत्रों में जाकर वनवासियों से सतत् सम्पर्क कर उनके खून के सेम्पल लेकर मलेरिया की जांच कर रहे है तथा लोगों को उनकी ही बोली भाषा में उन्हें मलेरिया से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने, घरों के आप-पास पानी एकत्रित नहीं करने, घरों के आस-पास सफाई रखने तथा मच्छर नही पनपे इसके लिए तरह तरह की समझाईश दी जा रही है.

सुकमा जिले में पिछले दिनों 21 सदस्यी मेडिकल टीम जिले के जगरगुंडा क्षेत्र के घोर दूर्गम व संवेदनशील गांवों तिमापुरम, मोरपल्ली, किस्टाराम, पोलमपाड़, बोड़केल, रावगुड़ा एवं चिंतागुफा के पालामड़गू में घर घर जाकर मलेरिया जांच किया एवं पॉजिटिव पाए गए लोगों का दवा खिलाकर उपचार भी किया. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं की जांच, हिमोग्लोबिन जांच और घर-घर मच्छरदानी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई एवं अन्य मरीजों का इलाज भी किया गया.

कलेक्टर चन्दन कुमार के मार्गदर्शन में खंड चिकित्सा अधिकारी कोन्टा, डॉ कपिल देव कश्यप कि अगुवाई में 21 सदस्यीय टीम ने 3 दिनों में लगभग 3000 ग्रामीणों का मलेरिया जांच किया, जिसमें 44 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए. पॉजिटिव पाए गए मरीजों का त्वरित उपचार किया गया और दवा भी उपलब्ध कराई गई.

गौरतलब है कि बस्तर संभाग में मानसून दस्तक दे चुका है और मानसून के समय मलेरिया फैलने का खतरा बढ़ जाता है. बारिश के कारण जगरगुंडा क्षेत्र के ये गांव टापू में तब्दील हो जाते है जिससे इन गावों तक पहुंचना मुमकिन नहीं होता. इसलिए स्वास्थ्य अमले ने मानसून के जोर पकड़ने के पहले ही इन गावों में जाकर मलेरिया जांच कर उपचार किया. स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया वारियर्स ने कहीं ट्रैक्टर में बैठकर तो कहीं पैदल चलकर मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के संकल्प को पूर्ण करने में अपना योगदान दिया.