दंतेवाड़ा। जिला में स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल है. कुआकोंडा सामुदायिक केंद्र में लापरवाही देखते ही बनती है. जहां एक तरफ मवेशियों का डेरा लगा हुआ है, वहीं दूसरी ओर टपकती छत लापरवाही का दृश्य बयां करती है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुआकोंडा में जहां शाम होते ही मवेशियों का डेरा लगने लगता है. जिस कागज के खड्डे में दवाईयां आती हैं, उस खड्डे को खाने के लिए मवेशी अस्पताल के अंदर तक प्रवेश घर जाते हैं, लेकिन ध्यान देने वाला कोई भी स्टाफ नहीं दिखता.

दवाईयां हॉस्पिटल के बरामदे में बिखरी पड़ी हैं. किसी भी तरह से इसका जवाबदार हॉस्पिटल में कोई नहीं है. वहां पर स्टाफ के नाम पर एक नर्स ही है और कोई भी स्टाफ हॉस्पिटल में मौजूद नहीं रहता.

अगर समय को ध्यान रखा जाए तो बारिश के मौसम में लोग काफी बीमार पड़ते हैं, उसमें हॉस्पिटल में किसी भी स्टाफ का ना रहना एक सोचने का विषय है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से ग्रामीणों का भरोसा उठता जा रहा है.

ग्रामीण अपना इलाज कराने के लिए प्राइवेट डॉक्टरों के पास जाना पसंद करते हैं. एक तो हॉस्पिटल का यह रवैया कहीं ना कहीं ग्रामीणों की परेशानी का कारण बनता जा रहा है.

वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल में छत से जगह जगह पानी टपक रहा है और तो और जिससे मरीज और दवाइयों को भी नुकसान हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह बचते दिख रहे हैं. किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं जाता है.

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