कुंदन कुमार, पटना। केंद्र सरकार के द्वारा लाये गये वक्फ संशोधन बिल को लेकर राजधानी में एक बडे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजधानी के हज भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में ईमारत ए शरिया के बिहार, झारखंड और ओडिसा से बडी संख्या में सदस्य शामिल हुए। इस आयोजन में वक्फ संशोधन बिल को वापस लिए जाने के साथ ही कई अन्य दूसरे मामलों पर चर्चा हुई। आयोजन में हिस्सा लेने वाले कई लोगों ने अपनी अपनी बातों को रखा।
वक्फ संशोधन बिल को वापस लेने की मांग
आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए इमारत ए शरिया के जेनरल सेक्रेटरी मोहम्मद शिबली कासमी ने कहा कि, आज का आयोजन इसलिए बुलाया गया था। जिसके कई मुद्दे थे। जिसमें बड़ा मुद्दा केंद्र सरकार के द्वारा लाया गया संशोधन बिल रहा। आज के आयोजन के माध्यम से केंद्र सरकार से हमारा आग्रह है कि वह इस कानून को वापस ले ले। इस मसले पर सभी की राय एक है।
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में बहुत सारे बोर्ड ऐसे हैं, जो अल्पसंख्यक से संबंध रखते हैं। मदरसा एजुकेशन बोर्ड में काफी दिनों से अध्यक्ष नहीं है। माइनॉरिटी कमीशन में अध्यक्ष नहीं है। उर्दू की हालत बुरी है। इन तमाम चीजों पर चर्चा करने के लिए आज का यह आयोजन किया गया था।
ईमारत ए शरिया के कई अहम मामलों पर हुई चर्चा
उन्होंने जानकारी दी कि आयोजन में ईमारत ए शरिया के कई अहम मामलों पर भी चर्चा हुई. इस मजलिस के माध्यम से ही इमारत ए शरिया के अध्यक्ष का चयन होता है और इसी के माध्यम से उनको हटाया भी जाता है। इमारत ए शरिया के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने मार्च महीने में अली अहमद फैसल रहमानी को आलीम नहीं होने और इस देश का नागरिक नहीं होने की वजह और दूसरे नियत के खिलाफ काम करने की वजह से हटा दिया था। उस पर मुहर लगाने के लिए इसका आयोजन किया गया।
अभी इमारत ए शरिया के अमीर अनिसुर रहमान कासमी हैं, जो 40 साल तक इमारत ए शरिया के अमीर रहे हैं। अभी जो बोर्ड ऑफ ट्रस्टी बनाया गया है। वह यहां के हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में उनका कहना था कि, इमारते ए शरिया की बिल्डिंग पर उन्होंने कब्जा कर रखा है। जिसके खिलाफ हमने सरकार के पास अपना आवेदन दिया है। हमारी मांग है कि कानून के दायरे में रहकर निर्णय लिया जाए।
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