नई दिल्ली/भोपाल। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों के सीमावर्ती जिलों के किसानों की खेती और उनके लिए उपलब्ध खाद- बीज और अन्य संसाधनों के संबंध में समीक्षा की। समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री ने इन जिलों के किसानों के कृषि संबंधी कार्यों की समुचित व्यवस्थाओं के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

सीमा पर जवान लड़ रहा है और देश के लिए किसान भी खेतों में तैयार है 

समीक्षा बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अभी जो परिस्थितियाँ देश की हैं, सीमा पर जवान भी लड़ रहा है और सीमा का किसान भी लड़ रहा है। हमारे किसान भाई बहन देश और देश के जवान के लिए अपने खेतों में तैयार है। कई किसान भाइयों को सुरक्षा के कारणों से, उनकी जहां खेती है, वहाँ से थोड़ा दूर रखा गया है ताकि उनकी जिंदगी सुरक्षित रहे, लेकिन अब ये जरूरी है कि सीमावर्ती क्षेत्र के हर राज्य के किसान चाहें वो पंजाब के हों, राजस्थान के हों, जम्मू-कश्मीर के हों, अन्य प्रांतों के हों, उनकी खेती हम कैसे सुरक्षित रख पाएं, ये हमारी जिम्मेदारी है।

किसानों को खाद-बीज आदि आदान उपलब्ध कराएं 

केंद्रीय मंत्री ने आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि अभी की परिस्थितियों में अगर वहां के हमारे किसान आज खेती नहीं कर पा रहे हैं तो कल उन्हें किस तरह के सीड्स की जरूरत होगी, विशेषकर खरीफ की फसल के लिए, प्लांटिंग मटेरियल आदि क्या चाहिए इनकी आवश्यकता का एक बार हम आंकलन कर लें और उसके बाद हम इन सभी चीजों को उपलब्ध कराएं, ताकि वो खरीफ की बोवनी ठीक कर सकें।

किसान की चिंता करना हमारी ड्यूटी- शिवराज सिंह

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने बैठक में कहा कि जवानों की तरह किसान भी वहां जूझते हैं तो उनकी चिंता करना हमारी ड्यूटी है। इसलिए हमने ये बैठक बुलाई है कि एक बार जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात का बड़ा हिस्सा हमारा इससे प्रभावित होता है। साथ ही हिमाचल प्रदेश, हरियाणा हमारे इन सभी प्रदेशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में किस- किस तरह के बीजों की उपलब्धता और खेती में हम उनके लिए क्या-क्या कर सकते हैं, इस पर आज ये बैठक है।

सीमावर्ती क्षेत्रों में खेती और बीजों की उपलब्धता पर विचार

बैठक में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में खेती और बीजों की उपलब्धता पर विचार किया गया। सीमावर्ती इलाकों में कुल कितनी जमीन है, कितने किसान प्रभावित हैं, कौन-कौन सी फसलें होती हैं और उन्हें किन सुविधाओं की आवश्यकता है, इसका आकलन राज्य सरकारों के साथ मिलकर किया जाएगा।

आदान की देश में कोई कमी नहीं

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूरिया, DAP, NPK जैसे पेट्रोकेमिकल आधारित इनपुट्स और डीजल की आपूर्ति की समीक्षा की जाएगी, हालांकि देश में इनकी अभी कोई कमी नहीं है। आवश्यक वस्तुओं की बफर स्टॉक की उपलब्धता और अन्य उठाए गए मुद्दों की भी समीक्षा की जाएगी। संबंधित मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों से बात करके यह जाना जाएगा कि उन्हें कृषि या ग्रामीण विकास विभाग से किस प्रकार का सहयोग चाहिए।

सीमा वाले गांवों में खेती की जानकारी जुटाकर किसानों की मदद के निर्देश

उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि सीमा के 10–15 किलोमीटर की पट्टी में आने वाले गाँवों की पहचान करें और वहाँ कितनी खेती योग्य जमीन है, इसका आकलन किया जाए। इन गाँवों में खरीफ की कौन-कौन सी फसलें बोई जाती हैं, इसका डेटा पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के लिए जुटाएं और जिन किसानों की खेतों तक पहुंच नहीं है, उनकी मदद कैसे की जाए, इसका प्लान राज्य सरकारों के साथ मिलकर बनाएं।  खरीफ की बोनी प्रभावित न हो, इसके लिए किसानों से संपर्क कर उनकी सहायता की जाएगी।

मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिवों से चर्चा

बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने अधिकारियों से कहा कि चिन्हित किया जाए कि कितने किसान ऐसे हैं, जो विस्थापित हैं या खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे, ताकि उन्हें लक्ष्य बनाकर योजना बनाई जा सके। कुल जमीन, उसमें बोई जाने वाली फसलें, किसानों की संख्या और फसल के लिए आवश्यक सामग्री, इन सभी का समग्र आंकलन किया जाएगा। कृषि विभाग का राज्यों को किस प्रकार सहयोग देना है, इसके लिए संबंधित मुख्य सचिवों, सचिवों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की जा रही है।

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