पटना । शहर के गर्दनीबाग में बुधवार को मध्याह्न भोजन रसोइयों ने अपनी मांगों को लेकर आक्रोश रैली और महाधरना का आयोजन किया। इस प्रदर्शन में बिहार के विभिन्न जिलों से आए रसोइयों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मध्याह्न भोजन रसोइया फ्रंट के राष्ट्रीय संरक्षक जय सिंह राठौर, राष्ट्रीय महासचिव रामकृपाल भाई समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। रसोइयों ने नारेबाजी करते हुए सरकार से अपनी मांगें पूरी करने की अपील की।

जरूरतों के हिसाब से बेहद कम

राष्ट्रीय महासचिव रामकृपाल भाई ने बताया कि 7 मार्च को हुए आंदोलन के बाद सरकार के साथ वार्ता हुई थी। उस समय सरकार ने रसोइयों को 12 महीने का मानदेय देने और मासिक वेतन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये तक करने का वादा किया था। लेकिन हकीकत में केवल 1,650 रुपये से बढ़ाकर 3,300 रुपये ही किया गया, जो उनकी मेहनत और जरूरतों के हिसाब से बेहद कम है।

रसोइयों की प्रमुख मांगें

प्रदर्शन के दौरान रसोइयों ने कई प्रमुख मांगें रखीं—

हर महीने 10,000 रुपये न्यूनतम मजदूरी

पीएफ (भविष्य निधि) की कटौती

पेंशन लाभ

साल में दो सूती साड़ियां

5 लाख रुपये का बीमा कवरेज

रसोइयों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आगामी चुनाव में मतदान से दूर रहेंगे।

जीवन यापन में कठिनाई

मधेपुरा से आई रसोइया राधा देवी ने कहा कि वह रोज सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्कूल में बच्चों के लिए भोजन तैयार करती हैं। इतनी मेहनत और लंबे समय के काम के बाद भी 3,300 रुपये में घर का खर्च चलाना असंभव है। उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ने के बावजूद उनका वेतन न के बराबर है, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है।

एकजुट होकर संघर्ष का संकल्प

गर्दनीबाग में जुटी रसोइयों की भीड़ ने हाथों में बैनर और तख्तियां थामकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए। महाधरना में शामिल रसोइयों ने एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई को जारी रखने का संकल्प लिया। राष्ट्रीय संरक्षक जय सिंह राठौर ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ वेतन वृद्धि के लिए नहीं, बल्कि सम्मानजनक जीवन और अधिकारों के लिए है।

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