रायपुर। आमतौर पर ये देखा गया है कि ज्यादातर महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर यूरिन करने से परहेज़ करती हैं. क्योंकि ज़्यातर सार्वजनिक शौचालय गंदे और अस्वच्छ होते हैं. इसलिए वे उतना पानी नहीं पीती जितना उनके शरीर की आवश्यकता है. लेकिन इस आदत की उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती हैं. 95 प्रतिशत महिलाओं के माइग्रेन की वजह अपर्याप्त पानी पीना है.
महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा तीन गुना माइग्रेन होता है. जिसमें से आधी से ज़्यादा महिलाएं महीने में एक बार माइग्रेन का शिकार बनती हैं. 25 फीसदी महिलाओं को चार या उससे ज़्यादा गंभीर आघात हर महीने आता है.
माइग्रेन के चार रोगियों में से तीन महिलाएं होती है. महिलाओं में यह 20 साल से 45 साल की उम्र तक सामान्य रुप से पाई जाने वाली बीमारी है. उम्र के इस दौर में महिलाएं जॉब, परिवार और सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने में व्यस्त रहती हैं. महिलाओं में माइग्रेन ज़्यादा पीड़ादायी होता है. उन्हें लंबे समय तक सिर में दर्द, जी मचलना और उल्टी के रुप में सामने आता है. इसके चलते महिलाएं घर और काम के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन नहीं कर पाती है.
माइग्रेन एक मेडिकल कंडिशन है. जो व्यक्ति माइग्रेन से पीड़ित होता है उसे सिर के एक या दोनों हिस्से में काफी तेज़ दर्द होता है. ये दर्द आमतौर पर टीस जैसा होता है. ज़्यादातर पीड़ितों में यह एक आंख या कान के पीछे होता है. हांलाकि यह दर्द सिर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. दर्द के अलावा जी मचलना, उल्टी होना और प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता का बढ़ना भी माइग्रेन के लक्षण हैं. कुछ लोगों को माइग्रेन के अटैक में स्पॉट दिखने लगता है या कुछ समय के लिए दिखना बंद हो जाता है.
माइग्रेन दिन में किसी भी समय हो सकता है. आमतौर पर यह सुबह से शुरु होता है. दर्द कुछ घंटो से लेकर एक या दो दिन तक हो सकता है. कुछ लोगों को माइग्रेश हफ्ते में एक बार या दो बार होता है. हांलाकि माइग्रेन किसी के संपूर्ण स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं डालता लेकिन इससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होती है.
कुछ महिलाओं में गर्भ निरोधक गोलियां माइग्रेन को बढ़ाता है. हांलाकि यही गोलियां माइग्रेन के अटैक की संख्या को घटा सकती है. हांलाकि कुछ महिलाओं में गर्भ निरोधक गोलियों का कोई असर नहीं होता.
माइग्रेन से बचाव का सबसे सही तरीका है कि उन कारणों को पहचान कर उनकी रोकथाम की जाए जिनकी वजह से माइग्रेन होता है. माइग्रेन का दर्द आमतौर पर तब होता है जब व्यक्ति तनाव में होता है. अगर हम तनाव से दूर रहें तो माइग्रेन से बचे रह सकते हैं. इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करके इसके लिए कोई फिटनेस कार्यक्रम बनवाना चाहिए या रिलेक्स रहने के तरीकों के बारे में जानना चाहिए.
ये पाया गया है कि महिलाओं में दर्द ज़्यादा समय तक और जल्दी-जल्दी आता है. बार-बार माइग्रेन अटैक से एस्ट्रोजेन स्तर में बदलाव आता है. रिसर्च माइग्रेन को हार्मोनल मानता है लेकिन सभी माइग्रेन हार्मोनल नहीं होते.
यौवन अवस्था के बाद जब एस्ट्रोजन का प्रभाव शुरु होता है. लड़कियों में आमतौर पर पहली बार माइग्रेन तब होता है जब उनका पीरियड्स शुरु होता है. यौवन अवस्था के साथ माइग्रेन भी करीब 40 साल की उम्र तक बढ़ता है फिर उसके बाद यह घटना शुरु होता है.
माइग्रेन पीड़ितों में कुछ बातें –
- जिनके परिवार में माइग्रेन या सिरदर्द का का पारिवारिक इतिहास हो
- महिलाओं में ये सामान्य है.
- माइग्रेन का दर्द उम्र के साथ घटती जाती है और पुनरावृत्ति होने की समयावधि बढ़ती जाती है.