पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर स्थित कमार जनजातीय बाहुल्य ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट व उसके आश्रित ग्रामों मे पिछले तीन माह से रोजगार के अभाव में पलायन करने की खबरों पर जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम का गठन किया है.

गरियाबंद कलेक्टर श्याम धावड़े ने विकासखण्ड मैनपुर के ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के 143 श्रमिकों को तेलंगाना राज्य के पेद्दापल्ली जिले में बंधक बनाये जाने की शिकायत पर उन्हें विमुक्त कराने के लिए सात सदस्यीय अधिकारियों और कर्मचारियों का एक टीम गठित किया है. यह टीम संबंधित जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से संपर्क कर बंधक श्रमिकों को विमुक्त कराकर उन्हें गरियाबंद सुरक्षित लाने की कार्रवाई करेगी.

बंधक श्रमिकों को विमुक्त कराने के लिए गठित टीम में नायब तहसीलदार मैनपुर डिगेश्वर साहू, संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग फणीन्द्र कुमार जायसवाल, श्रम निरीक्षक अरविन्द गलपाण्डे, उप निरीक्षक रक्षित केन्द्र गरियाबंद हृदय वर्मा, आरक्षक रक्षित केन्द्र प्रवीण वर्मा एवं भूपेन्द्र ठाकुर तथा ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के सचिव प्रेमलाल ध्रुव को शामिल किया गया है.

गौरतलब है कि मामले की जानकारी लेने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास गरियाबंद को कुल्हाड़ीघाट रवाना किया था, वहीं ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के पंचायत सचिव ने समूचे पंचायत क्षेत्र से 143 कमार जनजाति के लोगों के पलायन कर कमाने-खाने तेलंगाना राज्य के लिए कूच करने की सूचना पत्र के मध्यम से जनपद पंचायत मैनपुर को अवगत कराया था.

मनरेगा योजना पर सवालिया निशान

विलुप्त जनजाति के पलायन से रोजगार की गारंटी के लिए चलाये जा रहे मनरेगा योजना के क्रियान्वयन पर सवाल उठने लगा है. जनजाति के लिए बनाए गए प्राधिकरण में भी लाखों रुपए आबंटन हर साल होता है, लेकिन सांसद के गोद लिए इस ग्राम में जनजाति के लोगों का पलायन कर जाना योजना के असर को साबित करता है.