रवि गोयल, सक्ती। सक्ती जिले के छितापंडरिया गांव में हालात भयावह होते जा रहे हैं. गांव के लोगों की दिनचर्या दहशत के साए में गुजर रही है. कारण है- बेलगाम खनन माफिया, जो खुलेआम गांव में बारूद बिछाकर ब्लास्टिंग कर रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि गांव के एक तालाब के चारों ओर बारूद और तार फैले हुए हैं, जहां किसी भी समय बड़ा धमाका हो सकता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से गांव के तालाब को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. इस अवैध गतिविधि में गांव के सरपंच की मिलीभगत की भी चर्चा हो रही है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि खनन माफिया सरपंच से सांठगांठ कर तालाब के चारों ओर बारूद बिछाकर डोलोमाइट पत्थर की अवैध खुदाई कर रहे हैं. इस खतरनाक कृत्य की जानकारी संबंधित विभागों को नहीं दी गई है.

कलेक्टर ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी

मामले की जानकारी मिलने पर सक्ती कलेक्टर ने कहा है कि क्षेत्र में टीम भेजी जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उठते हैं कई अहम सवाल:

  1. खनन माफिया के पीछे कौन?
    इस तरह की अवैध ब्लास्टिंग बिना किसी राजनीतिक या रसूखदार संरक्षण के संभव नहीं लगती. क्या किसी बड़े नेता या प्रभावशाली व्यक्ति का हाथ इस पूरे रैकेट में है?
  2. बारूद की आपूर्ति कैसे हुई?
    जानकारी के मुताबिक, बारूद सप्लाई करने वाली कंपनी में किसी “सोनी” नाम के व्यक्ति का नाम सामने आया है. बड़ा सवाल यह है कि इतनी मात्रा में बारूद नियम विरुद्ध कैसे उपलब्ध कराया गया?
  3. सरपंच की भूमिका संदिग्ध?
    क्या गांव के सरपंच ने इस ब्लास्टिंग की अनुमति दी? यदि हाँ, तो क्या यह कानूनी है? और यदि नहीं दी, तो क्या उन्होंने अधिकारियों या पुलिस को इसकी सूचना दी?
  4. उत्खनन के बाद पत्थर कहां गया?
    पिछले हफ्ते भी बड़े स्तर पर ब्लास्टिंग की गई थी और सैकड़ों गाड़ियां डोलोमाइट पत्थर लेकर रवाना हुई थीं. सवाल यह है कि यह पत्थर किस क्रशर में पहुंचा और क्या उस पर कोई कार्रवाई होगी?

गांव में अब स्थिति बेहद गंभीर है. ग्रामीणों की जान को सीधा खतरा है. जरूरत है प्रशासनिक सतर्कता, पारदर्शी जांच और कठोर कार्रवाई की ताकि छत्तीसगढ़ में ऐसे खनन माफियाओं पर नकेल कसी जा सके.