लखनऊ। कुछ लोगों की सोच ही नकारात्मक होती है। ऐसे लोगों को दूसरे के हर काम में बुराई दिखती है। विपक्ष की स्थिति ऐसी ही है। यह उनका नहीं उनके नजरिए का दोष है। आज गन्ना किसानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वालों को अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए। ये बातें गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने बुधवार को जारी बयान में कही।

मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि यह वही लोग हैं जिनके कार्यकाल में कौड़ियों के भाव कई चीनी मिलें बेच दी गयी। किसानों के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह की कर्मस्थली में स्थित रमाला चीनी मिल के आधुनिकीकरण की दशकों पुरानी मांग को अनसुनी करते रहे। इनके कार्यकाल में करोड़ों रुपये का गन्ना मूल्य बकाया रहा। इसके कारण बड़ी संख्या में किसानों ने खुदकुशी की। तमाम किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा कर ली। किसानों के नकली और सीजनल हमदर्दो के आंसू तब क्यों सूख गये थे?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्ग निर्देशन में गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान, रिकॉर्ड पेराई, रिकॉर्ड उत्पादन और चीनी परता जैसी उपलब्धियां क्यों नहीं दिखती? वैश्विक महामारी कोरोना के संकट के दौरान जब देश-दु़निया में सारी गतिविधियां ठप पड़ गईं थी, उस समय सीएम योगी के निर्देशन में प्रदेश की सभी मिलों का सफलता से संचलन, कोरोना के खिलाफ जंग में प्रमुख सैनिटाइजर का रिकार्ड उत्पादन भी इनको नहीं दिखता। दिखेगा भी नहीं, क्योंकि इनको दृष्टिदोष है।

जनता सब जानती है, आंकड़े भी गवाह हैं 

गन्ना मंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार ने सपा और बसपा कार्यकाल की तुलना में अधिक भुगतान किया है। बसपा सरकार के कार्यकाल 2007/ 2008 से 2011/ 2012 के दौरान 52131 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ। इसी तरह सपा सरकार के कार्यकाल 2012/ 2013 से 2016/2017 के दौरान 95215 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। दोनों सरकारों के 10 साल के कार्यकाल के दौरान कुल भुगतान हुआ 1,47,346 करोड़ रुपये। जबकि योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में 1,22,251 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। प्रदेश में प्रति कुंटल गन्ने का औसत मूल्य देश के औसत मूल्य से अधिक है।