सुप्रिया पांडेय, रायपुर। प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) को आदिवासियों के गले का फंदा बताया है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों से पूछेंगे तो कहां से रिकॉर्ड मिलेगा. आदिवासी इलाकों में तो स्कूल ही नहीं. इन्होंने (आदिवासियों) तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह का कानून आएगा.

सर्किट हाउस में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी शोध दिवस में आदिवासियों की स्मिता को बचाये रखने पर हो रही चर्चा में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अपने उद्बोधन में CAA और NRC पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत सरकार का कानून यह काला कानून है. इसके खिलाफ आदिवासियों को लड़ना चाहिए. चाहे अंग्रेज का हुकुमत हो आदिवासी सिर्फ जंगल में रहते हैं. इस प्रकार के जीने वाले प्रमाण पत्र कहां से लाएंगे.

लखमा ने इस दौरान नक्सलवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि नक्सल को गोली से नहीं बातों से विकास से समझाएंगे. 15 सालों में बीजेपी ने आदिवासियों को पीछे धकेल दिया था, आग के हवाले किया था. आदिवासियों को जेल से छुड़ाने का काम किया जा रहा है. भाजपा ने सलवा जुडूम के माध्यम से घर जलाने का काम किया, जिसे आदिवासी कभी माफ नहीं करेंगे. छत्तीसगढ़ में आदिवासी नुकसान में थे.

उन्होंने कहा कि सबसे पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पूरे हिंदुस्तान खासकर बस्तर और सरगुजा के आदिवासियों की तरफ से बधाई. पहली बार गांधी परिवार ने आदिवासियों के साथ नृत्य किया. मुख्यमंत्री ने आदिवासी दिवस पर छुट्टी दी. स्कूल के बच्चों को अंडा देने वाले हिंदुस्तान के पहले मुख्यमंत्री भुपेश बघेल हैं. 72 साल में आदिवासी को प्राथमिकता देने वाले भूपेश बघेल पहले मुख्यमंत्री हैं. कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के अलावा देश के विभिन्न राज्यों के साथ नेपाल से बुद्धिजीवी शामिल हुए  हैं.