कवर्धा. कवर्धा में भाजपा समर्थित 26 पंचायतों के सरपंच कांग्रेस में शामिल हो गए है. सभी ने स्थानीय विधायक और वनमंत्री मोहम्मद अकबर के सामने रायपुर में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. इसे कवर्धा जिले में भाजपा के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है.

ये सभी 26 सरपंच भाजपा के गांवों में राजनीतिक पकड़ की मज़बूत कड़ी थे. माना जा रहा है इससे गांवों में भाजपा की पकड़ कमज़ोर और कांग्रेस की मज़बूत होगी. विधायक में जीत दर्ज करने के बाद से अकबर चुनाव दर चुनाव रमन के राजनीतिक किले को एक-एक करके ध्वस्त कर रहे हैं. सबसे पहले उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनाव में जीते फिर पंचायत चुनाव में भी आगे रहे.

कांग्रेस ने कवर्धा ज़िले की कवर्धा नगरपालिका, बोड़ला, सहसपुर लोहारा, पिपरिया और पांडा तराई में जीत दर्ज की. इस चुनाव में भाजपा को केवल पंडरिया में जीत दर्ज की थी.

 

नगरीय निकाय चुनाव के बाद हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त बरकरार रखी. अधिकांश पंचायतों में सरपंच चुने जाने के साथ कांग्रेस ने कवर्धा की दो जनपद पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव जीता. इसमे सहसपुर लोहारा भी है. जिसमे डॉक्टर रमन सिंह का गृह ग्राम ठाठापुर आता है.

ज़िला पंचायत के चुनाव में भाजपा की रणनीति ध्वस्त करते हुए कांग्रेस ने उपाध्यक्ष का पद हासिल कर लिया. भाजपा अध्यक्ष का चुनाव इसलिए जीत पाई क्योंकि कांग्रेस का कोई भी सदस्य अध्यक्ष के लिए रिज़र्व अनुसूचित जाति महिला से चुनकर नहीं आई। इस वजह से भाजपा की सुशीला रामकुमार भट्ट निर्विरोध निर्वाचित हो गयीं.

लेकिन राजनीतिक उठापठक का असल खेल उपाध्यक्ष के चुनाव में हुआ. भाजपा और कांग्रेस के 7-7 सदस्य ज़िला पंचायत में जीतकर आये थे. लेकिन चुनाव दिलचस्प तब हो गया जब उपाध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के रामकृष्ण साहू गायब हो गए.

रामकृष्ण साहू के गायब होने के बाद कांग्रेस मुश्किल में फंस गई।।भाजपा को ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव में 7-6 की बढ़त मिल गई थी. उपाध्यक्ष के चुनाव को डॉक्टर रमन सिंह और अकबर की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था. इस स्थिति में मंत्री अकबर ने खुद मोर्चा सम्भाला.

उन्होने पहले सदस्यों की आम राय बनाकर पुष्पा साहू को कांग्रेस का उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया. इसके बाद भाजपा खेमे में सेंधमारी की. जब वोटिंग की बारी आई तो भाजपा का खेल पलट चुका था. भाजपा की ओर से कांग्रेस के पक्ष में एक क्रॉस वोट हुआ और हारी हुई बाज़ी कांग्रेस ने 7-6 से जीत ली.

भाजपा ने उपाध्यक्ष के लिए भावना वोरा को मैदान में उतारा था. अपनी जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा ने कलेक्टोरेट के बाहर गाजे बाजे और फूलों से लदे रथ का इंतज़ाम कर रखा था. जब कांग्रेस के जीतने की खबर आई तो रथ के सारथी और बैंड बाजा वालों के साथ भाजपा नेताओं को चुपचाप खिसकना पड़ा.