सत्यपाल राजपूत, रायपुर. दिल्ली में देश भर के सहकारिता मंत्रियों का सम्मेलन शुरू हो गया है. जिसमें छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम भी शामिल हुए हैं. नई दिल्ली विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की उपलब्धियों और पहल के संबंध में आयोजित किया गया है. सम्मेलन में राज्यों के सहकारी क्षेत्र अपनी उपलब्धियों और पहलों का प्रदर्शन करेंगे.

बैठक से पहले LALLURAM.COM से बातचीत करते हुए छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री प्रेमसाय टेकाम ने कहा कि प्रदेश में सहकार से समृद्धि के बारे में बात रखूंगा. साथ ही सहकारिता विभाग की ओर से संचालित योजनाओं का वीडियो बनाया गया है, जिसे सम्मेलन में दिखाया जाएगा. ‘सहकार से समृद्धि’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संबंधित राज्य क्षेत्रों की ओर से लगभग 10 स्लाइडों की स्पष्ट प्रस्तुति और करीब 5 मिनट का एक लघु वीडियो सम्मेलन में प्ले किया जाएगा.

सम्मेलन में दिए प्रेजेंटेशन में विभाग की ओर से तैयार किए गए क्लिप को दिखाया गया जिसमें-

  • ऋण माफी- छत्तीसगढ़ शासन की ओर से महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए किसानों की कर्ज माफी का निर्णय लेकर 13.47 लाख किसानों के 5261.43 करोड़ के सहकारी ऋण माफ करना बताया. ऋण माफी के कारण ऋण लेने वाले किसानों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि होना भी बताया गया.
  • ब्याज अनुदान – प्रदेश के कृषकों को सहकारी समितियों / बैंकों के जरिए 5 लाख तक के ब्याज मुक्त अल्पकालीन ऋण दिए जा रहे हैं. सरकार की ओर से मछली पालन और लाख की खेती को बढ़ावा दिए जाने के लिए ब्याजमुक्त ऋण दिए जाने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही उद्यानिकी फसलों, गौपालन के लिए भी रियायती दरों पर ऋण दिया जा रहा है.
  • सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन और संख्या वृद्धि किसानों को कृषि साख की सुलभता के साथ सहकारिता के विस्तार के लिए 1333 प्राथमिक साख सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन कर 725 नई समितियों का गठन किया गया. जिससे किसान की सहकारी संस्थाओं के बीच की दूरी में कमी आई है और किसान सहकारी संस्थाओं की सेवा में सुलभता बढ़ी है.
  • नई संस्थाओं को गोदाम, सह कार्यालय, नवगठित समितियों को सुदृढ़ बनाए जाने के लिए 185 करोड़ की लागत से गोदाम सह आफिस के निर्माण की योजना बनाई गई. जिसके लिए सरकार की ओर से समितियों को 75 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का निर्णय लिया गया.
  • किसानों को सहकारिता से ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं दिलाए जाने के लिए सहकारी बैंकों की शाखाओं, ATM का विस्तार किया गया.

गोधन न्याय योजना की दी जानकारी

मंत्री ने सम्मेलन में बताया कि गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन सहकारिता के जरिए किया गया. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य देश में गोबर खरीदी करने वाला पहला राज्य है. गोधन न्याय योजना को जुलाई 2020 से प्रारंभ किया गया है. इसके लिए राज्य में 8408 गौठान बनाकर पशुपालकों से 2 रुपये प्रतिकिलो की दर पर गोबर खरीदी की जा रही है. 15 अगस्त 2022 तक 79 लाख क्विंटल गोबर, जिसका मूल्य 158 करोड़ है, खरीद कर 2.52 लाख गोबर विक्रेताओं को राशि भुगतान की गई है. गौठानों में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर किसानों को वितरण किया जा रहा है. जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ने और जैविक खेती को बढ़ावा मिलने के साथ ही रासायनिक खाद पर निर्भरता भी कम होगी. इस योजना में अभी तक 14.75 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया गया है. जिसकी राशि 147.50 करोड़ है. सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों द्वारा इस योजना में महती भूमिका का निर्वहन किया जा रहा है. सहकारी समितियों के माध्यम से खाद बेचकर सहकारी बैंकों के जरिए स्व-सहायता समूह, गौठान और गोबर विक्रेता को सीधे उनके बैंक खातों में ऑनलाईन भुगतान किया जा रहा है.

वृक्षारोपण करने पर 10 हजार की राशि

वर्ष 2020 में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए किसानों को कृषि आदान सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. योजना में खरीफ में बोई जाने वाली सभी फसलों के लिए 9,000 रुपये प्रति एकड़ के मान से राशि दी जा रही है. धान के बदले अन्य फसल लेने के लिए 10,000 रुपये प्रति एकड़ सहायता राशि दी जा रही है. धान के बदले वृक्षारोपण करने पर तीन वर्ष तक प्रति एकड़ 10,000 रुपये की सहायता राशि दी जा रही है. इस योजनांतर्गत 24 लाख किसानों को 14,597 करोड़ का भुगतान सहकारी बैंकों के माध्यम से किया जा चुका है.

सहकारी शक्कर कारखानों में गन्ना आधारित एथेनॉल संयंत्र की स्थापना

एथेनॉल की बढ़ती आवश्यकता और छत्तीसगढ़ के गन्ना उत्पादकों की संपूर्ण उपज को सही मूल्य दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार प्रतिबद्ध है. राज्य के भोरमदेव सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना मर्या० कवर्धा परिसर में सहकारिता के क्षेत्र में देश के अपने तरह के पहले पीपीपी मोड पर एथेनॉल प्लांट की स्थापना का निर्णय शासन ने लिया है. पीपीपी मोड में सहकारिता को सम्मिलित किए जाने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया.

अनुबंधकर्ता द्वारा 80 KLPD (किलोलीटर प्रतिदिन) एथेनॉल प्लांट (मोलासिस / गन्ना रस / शक्कर सिरप आधारित) अनुमानित लागत राशि रू. 125 करोड़ की लागत से स्थापना की जा रही है. कामर्शियल उत्पादन का लक्ष्य जनवरी 2023 रखा गया है. एथेनॉल संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे. इस प्लांट के पूर्ण क्षमता के संचालन से सहकारी शक्कर कारखाने को लायसेंस फीस के रूप में प्रतिवर्ष रू. 9.22 करोड़ प्राप्त होगा. भविष्य में एथेनॉल प्लांट की क्षमता वृद्धि होने से कारखानों को उसी अनुपात में लाइसेंस फीस की प्राप्ति होगी .

गन्ना किसानों की आर्थिक सहायता

राजीव गांधी किसान न्याय योजनांतर्गत गन्ना पेराई सीजन 2019-20 में 93.75 रुपये प्रति क्विंटल के मान से 34292 किसानों को राशि रू. 74.24 करोड़ का एफआरपी के अतिरिक्त भुगतान किया गया. इस तरह प्रदेश में गन्ना किसानों को गन्ना पेराइ सीजन 2019-20 में 355.00 रू. प्रति क्विंटल के मान से किसानों को गन्ने का दाम मिल रहा है.

मक्का आधारित एथेनॉल प्लांट की स्थापना

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के कोण्डागांव जिले 65000 मक्का उत्पादक कृषक है, मक्का यहां की एक महत्वपूर्ण फसल है. मक्का प्रसंस्करण प्लांट की स्थापना के लिए 90,000 मीट्रिक टन के मुकाबले प्रतिवर्ष 1,90,000 मेट्रिक टन मक्के का उत्पादन होता है. मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1962 रू. क्विंटल निर्धारित है. लेकिन वर्तमान में किसान मक्का 1100-1200 रू. क्विंटल की दर से बेच रहे हैं. सहकारिता के क्षेत्र में 140 करोड़ रुपये की लागत से 80 KLPD क्षमता का एथेनॉल प्लांट लगाया जा रहा है. जिसमें शासन की 25 प्रतिशत राशि अंशपूंजी विनियोजित होगी. मक्का प्रसंस्करण यूनिट की स्थापना होने से जो फायदा होगा उसका बोनस किसानों को मिलेगा. 300 से ज्यादा लोगों को मक्का प्रसंस्करण प्लांट में रोजगार भी मिलेगा.

कम्प्यूटरीकृत ऑनलाइन धान खरीदी और भुगतान

छत्तीसगढ़ राज्य की मुख्य फसल धान है. राज्य में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ और सह अभिकर्ता के रूप में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों की ओर से धान का उपार्जन किया जाता है. 2020 सहकारी समितियों की ओर से 2,484 धान उपार्जन केन्द्रों में पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत ऑनलाइन धान खरीदी की व्यवस्था की गई है. सहकारी बैंकों की ओर से पी.एफ.एम.एस. के जरिए 72 घंटों के अंदर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है. धान खरीदी व्यवस्था से हर साल दो लाख से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार भी उपलब्ध होता है.

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