सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. शिक्षा विभाग भी इनके सामने नतमस्तक हो गई है. स्कूल शिक्षा मंत्री, शासन और शिक्षा विभाग के निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. लॉकडाउन में भी परिजनों से निजी स्कूलों द्वारा अप्रैल, मई और जून महीने की फीस जमा करने के लिए लेटर भेजा गया है. इतनी ही नहीं कई स्कूल बंद के दौरान भी वाहन चार्ज जोड़ते हुए जबरन ऑनलाइन पैसे जमा करने को लेकर दबाव बना रहे है, नहीं देने पर बच्चों का रिज़ल्ट रोक दिया है. छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने शिक्षा विभाग के सचिव संचालक को शिकायत करते हुए आवेदन सौंपा है. पालक संघ ने कहा कि ये बहुत दुख की बात है कि शासन प्रशासन के आदेश और दिशा निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. बार-बार शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग मौन क्यों है ?

पालक संघ ने अप्रैल, मई और जून महीने की फीस माफ करने की मांग शिक्षा विभाग से की है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के समय फ़ीस स्थगित रखने के निर्देशों को दरकिनार कर प्राइवेट स्कूलों द्वारा बच्चों का रिज़ल्ट रोक लिया गया है. जमा करने की शर्तों पर ही रिज़ल्ट दिया जा रहा है. अगली कक्षाओं में प्रवेश के लिए ऑनलाइन फीस जमा करने के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई प्राइवेट स्कूलों के लिए फ़ीस वसूलने का माध्यम बन गया है, जबकि यह सुविधा कई बच्चों को नहीं मिल पाया है. क्योंकि जो मोबाइल स्कूल में पंजीयन है वह पालको का है. पालकों के लिए बच्चों के मोबाइल के ज़रिये पढ़ाई करवाना संभव नहीं है.

ग्रामीणों क्षेत्रों और ग़रीब पालकों के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है, लेकिन अब उन्हें भी पूरा फ़ीस देना पड़ेगा. क्योंकि स्कूलों द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से कोर्स पूरा कराने की बात कह रहे हैं. पालकों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि शासन प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि लॉकडाउन के दौरान फ़ीस वसूली नहीं करना है, पालको को परेशान नहीं करना है, तो फिर शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है ? उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से पालकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में स्कूल के फीस जमा नहीं कर सकते हैं.

बड़ा सवाल यही है कि जब शासन-प्रशासन ने लॉकडाउन की अवधि में स्कूलों से फीस वसूली स्थगित करने की बात कह चुकी है, तो फिर फीस वसूलने दबाव क्यों बनाया जा रहा है ? क्या वजह हो सकती है कि शिक्षा विभाग इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है ? आखिर इन पर कार्रवाई कब होगी ?