रायपुर। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के दो दिन पहले दिए गए इस्तीफा के साथ प्रदेश के शांत सियासी माहौल में भूचाल सा आ गया है. इस सियासी घटना का विधानसभा के मानसून सत्र पर भी असर पड़ने की आशंका है. इन सब के पीछे अंदरखाने से जो बात सामने आ रही है, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है, यह अचानक घटित घटना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी योजना का हिस्सा है, जिसके पीछे का मकसद कुछ और है.

बताया जा रहा है कि टीएस सिंहदेव ने अपने इस्तीफा पत्र में आरोप लगाया है कि विभाग की ओर से कैबिनेट कमेटी को भेजे गए प्रारूप में जल, जंगल, जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बदल दिया गया है, लेकिन बैठक में उपस्थित सूत्र का कहना है कि कैबिनेट की बैठक में पेसा कानून पर लगभग एक घंटे चर्चा हुई, जिसमें लगभग 45 मिनट टीएस सिंहदेव ने स्वयं पेसा के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी. यही नहीं बैठक के दौरान उन्होंने एक बार भी प्रारूप बदलने, उनकी मंशा से विपरीत ड्राफ्ट होने या किसी अन्य बिंदु पर आपत्ति नहीं जताई. यही नहीं इस दौरान उन्होंने बाकायदा मंत्रियों के सवालों का जवाब भी दिया.

बैठक के बाद 7 जुलाई को उन्होंने एक के बाद एक पांच ट्वीट किया, जिसमें लिखा कि उन्हें आज हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप जनघोषणा पत्र 2018 में जो पेसा नियम छत्तीसगढ़ में लागू करने का फैसला हम सभी ने लिया था, वह कैबिनेट की बैठक में पूर्ण हुआ है. अब सवाल उठ रहा है कि कैबिनेट की बैठक में कोई विरोध नहीं करने और उसके बाद कैबिनेट से पारित कानून के बारे में ट्वीट करने के बाद आखिर स्टैंड में बदलाव कैसे आ गया. राजनैतिक जानकार इसके पीछे कोई खास वजह होना मान रहे हैं, जो आने वाले दिनों में न केवल सरकार के लिए बल्कि स्वयं सिंहदेव के लिए परेशानी का सबस पैदा कर सकते हैं.

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