आशीष तिवारी, रायपुर- शिक्षकों की कमी दूर करने को लेकर मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट आज रमन कैबिनेट की मीटिंग में पेश की गई. रिपोर्ट देखने के बाद कैबिनेट के ज्यादातर मंत्रियों ने इस पर असहमति जताई. बताते हैं कि कैबिनेट मीटिंग में इस मुद्दे पर करीब एक घंटे तक बहस चलती रही. सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में शिक्षाकर्मियों की पदोन्नति का जिक्र तो था, लेकिन शिक्षा विभाग के अंतर्गत नियमित विषयवार व्याख्याता और प्राचार्यों के पद भरने को लेकर कोई सुझाव नहीं था. इस मामले को लेकर ही मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की. बताया जा रहा है कि कुछ मंत्री चाहते थे कि शिक्षकों के नियमित पद भरे जाएं, जिससे शिक्षा विभाग के बंद होने की नौबत ना आ जाए.
बैठक के दौरान मुख्य सचिव द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर समेत कई मंत्रियों ने दलील देते हुए कहा कि 16 साल बाद भी प्रदेश में नियमित शिक्षकों के पद भरे नहीं जा सके हैं, क्योंकि इन्हें डाइंग कैडर घोषित कर दिया गया था. अब इन पदों को पुनर्जीवित किए जाने की जरूरत है. मंत्रियों ने कहा कि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि नियमित शिक्षकों की भर्ती पर शासन पर कितना वित्तीय भार आएगा.
कैबिनेट मीटिंग के दौरान शिक्षकों को सिर्फ स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन लाने की भी मांग उठी. हालांकि पंचायत विभाग इससे असमहत नजर आया. प्रदेश में फिलहाल शिक्षकों की नियुक्ति तीन अलग-अलग विभागों द्वारा की जा रही है. बताया जा रहा है कि पंचायत विभाग की आपत्ति इसलिए थी क्योंकि शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति यही विभाग करता है.
सूत्र बताते हैं कि व्याख्याताओं, प्रधानपाठक और प्राचार्य की नियमित नियुक्ति के मामलों पर मंत्रियों की दलील के बीच वित्त विभाग ने ये कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि इससे शासन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. मंत्रियों और वित्त विभाग को सुनने के बाद मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि वित्त विभाग इस मामले का आंकलन करके बताए कि नियमित नियुक्ति किए जाने पर शासन पर कितना आर्थिक बोझ बढ़ सकता है. कैबिनेट ने तय किया कि अगली बैठक में नए सिरे से रिपोर्ट पेश किया जाए. रिपोर्ट पेश करने के बाद ही इस दिशा में कोई निर्णय़ लिया जाएगा.
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी है, तो नियमित शिक्षक ही विकल्प
रमन कैबिनेट की बैठक के दौरान मंत्रियों ने दो टूक कह दिया कि प्रदेश में यदि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी है, तो नियमित शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी. दलील दी गई कि यदि पांच हजार पोस्ट ग्रेजुएट सालाना निकलते हैं, तो इनमें से पांच सौ भी शिक्षक बनने को तैयार नहीं होते, क्योंकि शिक्षाकर्मियों के पद पर इन्हें ज्यादा तनख्वाह नहीं मिलती दिखती. ऐसे में पोस्ट ग्रेजुएट दूसरी नौकरियों की ओर डायवर्ट हो रहे हैं.
करीब 72 हजार शिक्षकों के पद रिक्त
सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रायमरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल तक करीब 72 हजार पद रिक्त हैं. पिछली कैबिनेट की बैठक के दौरान जब शिक्षकों की कमी के मुद्दे को लेकर प्रेजेंटेशन दिया गया था, तो इस बात की सिलसिलेवार जानकारी दी गई थी.
सरकारी आंकड़ों में –
राज्य में व्याख्याता एवं व्याख्याता पंचायत वर्ग में 19 विषयों पर 43 हजार 333 शिक्षकों के पद स्वीकृत है, जिसमें तीनो ही वर्गों में रिक्त पद के आंकडे 12 हजार 120 है. नियमित व्याख्याता के स्वीकृत पद 13 हजार 514 , कार्यरत 4 हजार 911 , रिक्त पद 8 हजार 603, व्याख्याता पंचायत के अंतर्गत स्वीकृत पद 25 हजार 779 , कार्यरत 23 हजार 938 एवं रिक्त पद 1841 है. नगरीय निकायों में व्याख्याताओं की स्थिति भी कुछ इस प्रकार है. 4 हजार 40 स्वीकृत पद के विरूद्ध 2364 कार्यरत है तथा 1676 रिक्त पद है. प्रदेश में 12 विषय में फीडऱ संवर्ग में रिक्त पद भी 4898 है. व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु फीडर संवर्ग में फीडिंग कैडर के अंतर्गत 12 विषय में 21 हजार 939 शिक्षक है और स्थानीय निकायों में दिए जाने वाले पद जिनमे 7 विषयों पर 3705 शिक्षक के पद है.
प्राचार्य की स्थिति –
हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी स्कूल के लिए प्राचार्य के पद कुल 4318 है, जिसमे कार्यरत 2041 एवं रिक्त पद 2277 है. इस विषय को लेकर विभाग का मत जो आया है, उसमें नियमिति व्याख्याता संवर्ग में कार्यरत शिक्षकों की संख्या 4911 है. भर्ती नियम के वर्तमान प्रावधान 75 प्रतिशत पदोन्नति से 25 प्रतिशत सीधी भर्ती से. विभाग का यह भी मत भर्ती नियमों को एक बार शिथिल कर समस्तों पदों पर पदोन्नति की कार्रवाई की जाए. परंतु मंत्रिपरिषद इस विषय को लेकर सहमत नहीं है. कुल मिलाकर प्रदेश में प्राचार्यों के 2271 पद रिक्त है.
प्राधान पाठकों की स्थिति –
प्रदेश के पूर्व माध्यमिक शालाओं में प्राधान पाठकों की स्थिति भी चिंताजनक है, जिसमें 4096 पद रिक्त है. प्रदेश में कुल मीडिल स्कूल की संख्या 13 हजार 169 है,, जिसमें 160 प्रधान पाठक के पद अब तक स्वीकृत नहीं हुए है और 4296 पद रिक्त है. सरकारी आंकडे के अनुसार स्वीकृत पदों की संख्या 13009 , कार्यरत पदों की संख्या 8716 बताई गई है, माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की स्थिति को लेकर जो जानकारी है, उसके अनुसार व्याख्याताओं के पद से पदोन्नति पद 4 हजार 898 शिक्षक है, फीडर कैडर में उपलब्ध शिक्षकों की संख्या 13 हजार 226 और शेष शिक्षकों की संख्या 8328 है, इन वर्ग में भर्ती नियम के अंतर्गत 50 प्रतिशत पदोन्नति और 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भर्ती की जा सकती है, विभाग की मांग है कि इन वर्ग में भर्ती नियम को एक बार शिथिल करते हुए समस्त पदों पर पदोन्नति की कार्रवाई की जाए.
प्रधान पाठक प्राथमिक शाला-
सूत्रों के अुनसार प्रदेश में कुल शालाओं की संख्या 30 हजार 746 है. स्वीकृत पदों की संख्या 30235 है. भरे हुए पदों की संख्या 11 हजार 872 है, रिक्त पदों की संख्या 18 हजार 363 है. फीडर कैडर में उपलब्ध शिक्षकों की संख्या 5009 है और शेष पदों की संख्या 13 हजार 364 है. प्रधान पाठक प्राथमिक शालाओं के लिए भर्ती नियम वर्तमान प्रावधान के अनुसार 80 प्रतिशत पद पदोन्नति एवं 20 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जा सकते हैं. प्रधान पाठकों की समस्या से मुक्ति के लिए भर्ती नियमों को संशोधित कर प्रधान पाठक के पद स्थानीय निकायों के पदोन्नति हेतु उपलब्ध कराए जाएंगे.
इसी तरह पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के आंकड़ों को देखे तो भी भारी कमी नजर आती है…..
शिक्षक संवर्गों में रिक्त पदों की स्थिति को एक नजर में देखे तो-
व्याख्याता – 12120
प्राचार्य – 2271
प्रधान पाठक – 4296
शिक्षक-शिक्षक पंचायत – 8247
प्रधान पाठक के रिक्त
प्रा.शा. प्रधान पाठक – 18363
प्राथमिक शाला – 27436
कुल -72733