हेमंत शर्मा, इंदौर। अक्सर कहा जाता है की एक बेटी के लिए उसका पिता सुपर हीरो होता है। बेटियां अपने पिता के लिए अपनी जान तक न्यौछावर करने के लिए खड़ी रहती हैं। वहीं अगर उसके पिता की जान पर बात आ जाए तो वो भगवान तक से लड़ जाती है। तो फिर ये सरकार या कोर्ट क्या चीज है। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के इंदौर से सामने आया है। जहां पिता की जान को खतरा देख बेटी सिस्टम से ही लड़ गई। बेटी के इस प्यार को देख सबने अपने घुटने टेक दिए।

दरअसल, इंदौर में एक नाबालिग बेटी ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपना लीवर दान किया है। बेटमा निवासी शिवनारायण बाथम को लीवर की गंभीर बीमारी थी। उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी और उन्हें तुरंत लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। पिता की हालत देख उनकी बेटी प्रीति ने पिता की जान बचाने का फैसला किया और अपने लीवर का एक हिस्सा दान करने का संकल्प लिया।

ये सफर नहीं था आसान

लेकिन यह आसान नहीं था। प्रीति नाबालिग थी, इसलिए उसे लीवर दान करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिर सरकार ने अनुमति दे दी। इसके बाद प्रीति ने इंदौर हाईकोर्ट की भी शरण ली, जहां हाईकोर्ट ने भी ट्रांसप्लांट की अनुमति दी।

गुरुवार रात को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम की निगरानी में सफलतापूर्वक लीवर ट्रांसप्लांट किया। ऑपरेशन के बाद, शिवनारायण बाथम और उनकी बेटी प्रीति दोनों स्वस्थ हैं। फिलहाल दोनों को आईसीयू में रखा गया है। एमजीएम मेडिकल के डॉक्टर संजय दीक्षित ने बताया कि, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान पूरी नजर बनाए रखी। यह कहानी न केवल एक बेटी के अपने पिता के प्रति असीम प्रेम और समर्पण की है, बल्कि यह भी दिखाती है कि दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

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