रायपुर. छत्तीसगढ़ लघुवनोपज प्रबंधक संघ के आह्वान पर शनिवार को प्रदेश के 902 प्रबंधकों ने 36 साल से लंबित नियमितीकरण की मांग और वित्त विभाग से अनुमति मिलने के बाद भी प्रबंधकों को 7, 8, 9 ग्रेडपे न मिलने के चलते मुख्यमंत्री और एमडी से मुलाकात की. इस दौरान संघ ने अपनी मांगों को सीएम के सामने रखा.

लघुवनोपज संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामाधर लहरे ने बताया कि प्रबंधक पिछले 36 साल से 14 लाख लघुवनोपज संगठनकर्ता परिवारों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचा रहे हैं. जिनमें से मुख्य रूप से तेंदूपत्ता संग्रहण, भुगतान, बोनस का वितरण, 14 लाख परिवारों का बीमा, छात्रवृत्ति, 65 प्रकार के लघुवनोपज का न्यूनतम संग्रहण दर में संग्रहण आदि शामिल है. प्रबंधकों के महेनत के ही कारण छत्तीसगढ़ लघुवनोपज संग्रहण में पूरे देश मे नंबर एक है. कोई भी राज्य हमारे आस-पास भी नहीं है. लघुवनोपजो के संग्रहण में प्रदेश सरकार को 13 राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले. फिर भी सरकार और अधिकारियों द्वारा विगत 36 वर्षो से प्रबंधको का सिर्फ शोषण और छला जा रहा है. लहरे ने कहा कि 2016 में प्रबंधकों के लिए सेवा नियम भी लागू किया गया था. जिसमें साफ लिखा है कि 1 वर्ष की परिक्षावधि के बाद प्रबंधक नियमित माने जाएंगे. लेकिन उसे भी आज तक धरातल में नहीं लाया गया. जिसके चलते प्रदेश के समस्त प्रबंधकों ने 6 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.

60 लाख संग्राहको पर पड़ेगा असर

प्रबंधकों के हड़ताल पर जाने से लघुवनोपज संग्रहण, 14 लाख परिवारों के बीमा प्रकरण, बोनस भुगतान संबंधी अनेक योजनाएं जो सीधे आम जनता से जुड़ी है पूर्ण रूप से प्रभावित होंगी. जिसका प्रभाव आने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. प्रबंधकों के साथ प्रदेश के 60 लाख संग्रहक सीधे तौर पर जुड़े हैं. जिसका प्रभाव सभी चुनाव में मुख्य रूप से दिखता है.

प्रबंधको के कड़ी महेनत के चलते ही विगत वर्षों न्यून्तम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत वनोपजों के संग्रहण एवं विपणन के लिए राज्य शाशन को 13 राष्ट्रीय अवार्ड मिले थे.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें