Mirzapur Lok Sabha Elction. यूपी की मिर्जापुर सीट पर एनडीए के सहयोगी दल अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल और इंडिया गठबंधन की ओर से सपा के रमेश चंद बिंद के बीच सीधी जंग दिखाई दे रही है. अनुप्रिया पटेल लगातार तीसरी बार इस सीट से सांसद बनने के ल‍िए मैदान में हैं. वहीं बसपा ने मनीष कुमार तिवारी को प्रत्याशी बनाया है.

भाजपा से टिकट कटने के बाद भदोही के मौजूदा सांसद रमेश चंद बिंद को इस सीट से उतारकर सपा ने अनुप्रिया के विजयरथ को रोकने की भरपूर कोशिश की है. वहीं, बसपा ने अगड़ी जाति के वोटबैंक को साधने के लिए ब्राह्मण चेहरे मनीष कुमार तिवारी  को उतारकर अनुप्रिया को घेरने की कोशिश की है. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार अनुप्रिया की जीत उतनी आसान नहीं, जितनी पहले के चुनावों में थी.

मिर्जापुर सीट की बात की जाये तो जातिगत समीकरण और कुछ केंद्रीय कल्याण योजनाओं के चलते माहौल अनुप्रिया के पक्ष में हो सकता है. हालांकि, 25% दलित और आदिवासी आबादी वाली इस सीट पर अनुप्रिया पर अपने वफादार कुर्मी वोट बैंक के प्रति पक्षपाती होने और जल जीवन मिशन जैसी आदिवासियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं के अनियमित कार्यान्वयन का भी आरोप लगाया जा रहा है. मिर्जापुर की 49% आबादी ओबीसी और 25% एससी/एसटी है.

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एनडीए की तरफ से लड़ रही 42 वर्षीय अनुप्रिया पटेल एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के रूप में कार्य कर चुकी हैं. राजनीतिक करियर की शुरुआत से पहले अनुप्रिया ने एमिटी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में काम किया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल ने 9 सीटें जीतीं थी. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अपना दल से की, जो उनके पिता स्वर्गीय सोनेलाल पटेल द्वारा 1995 में बनाई गई पार्टी थी.

सोनेलाल पटेल की मृत्यु के बाद पार्टी दो गुटों में विभाजित हो गई. सोनेलाल की बेटी अनुप्रिया पटेल द्वारा 2016 में गठित अपना दल (सोनेलाल) केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा के साथ गठबंधन में है और राज्य में उसके 13 विधायक हैं. बता दें कि भाजपा ने 2014 में ही मिर्जापुर सीट को सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में दे दिया है. 2014 व 2019 के चुनाव में मोदी-योगी के नाम पर जनता ने जातीय दीवार को दरका कर अनुप्रिया को जिताया था. पर, इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन ने बिंद जाति का उम्मीदवार उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.

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