सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। मेकाहारा हॉस्पिटल की लचर व्यवस्था का शिकार आम मरीजों के साथ-साथ दिल की समस्या से ग्रसित मरीज भी हो रहे हैं. एंजियोप्लास्टी का सैकड़ों गरीब मरीज इंतजार कर रहे हैं, कई मरीजों की तो इस बीच मौत भी हो चुकी है, लेकिन समस्या का अब तक समाधान नहीं निकाला गया है.

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल मेकाहारा में व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही है. एंजियोप्लास्टी कराने के लिए गरीब 168 मरीज़ हाथ में मौत लेकर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ मरीज़ जमीन-जायदाद बेच कर प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने को मजबूर हैं. वर्तमान में गंभीर स्थिति में वाले लगभग 25 मरीज़ हॉस्पिटल में भर्ती हैं. बाकी मरीजों को टोकन पकड़ाकर कर डिस्चार्ज दिया गया है.

मरीज़ों ने नाम नहीं बताने की शर्त में अपना दर्द लल्लूराम डॉट कॉम के पास बयां करते हुए सवाल उठाया कि अगर हमारे पास पैसा होता, हम इतने सक्षम होते तो सरकारी हॉस्पिटल में क्यों आते? अस्पताल कहा जाता है कि आपको एंजियोप्लास्टी कराना है, तो खुद सामान लेकर आओ, यहाँ सरकारी सामान सप्लाई नहीं हो रहा है. वजह पूछने पर डॉक्टरों ने बताया कि अगर आप छुट्टी कराकर जाते हैं, तो आप उसी इंतज़ार के लाइन में खड़े हो जाएंगे, जहाँ पहले से लगभग 200 लोग इंतज़ार कर रहे हैं.

मरीज बताते हैं कि इलाज के इंतज़ार में कई मरीज़ों मौत हो चुकी है. लगभग 200 मरीज़ गंभीर स्थिति में होने के बावजूद मौत के इंतज़ार कर रहे हैं. वहीं जो मरीज सामानों का भुगतान कर रहे हैं, उनका इलाज किया जा रहा है. कुछ मरीज़ मजबूरी में प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर जा रहे हैं. एंजियोप्लास्टी की खातिर मरीज घर के गहने, सामान, ज़मीन बेचने को मजबूर हैं, तो कुछ कर्ज़ में लद रहे हैं.

इसलिए लाइन में हैं मरीज

इस मामले को लेकर विभागाध्यक्ष डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव ने कहा कि एंजियोप्लास्टी के लिए जो सामान हमें मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा हैं. लाइन में मरीज़ इसलिए हैं क्योंकि सामान पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि पैसा किसी से नहीं लिया जाता है, मरीज जो सामान लेकर आते हैं, उनका एंजियोग्राफी किया जाता है.

एल वन से नहीं मिल रहा है सामान

हॉस्पिटल अधीक्षक एसएस नेताम ने कहा कि जिस तरह से मुझे जानकारी मिल रही है, सामान की सप्लाई की जा रही है एल वन से सामान नहीं मिल रहा है तो एल टू से सामान उपलब्ध है. मैंने आज ही पदभार लिया है. आख़िर यह समस्या क्यों हो रही है, विभागाध्यक्षों से बातचीत कर समस्या का समाधान किया जाएगा.