रायपुर। आईएएस एम के राउत छत्तीसगढ़ के नए सूचना आयुक्त बन गए हैं. आज राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने राजभवन में उन्हें राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त की शपथ दिलाई. इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, मंत्रिमंडल के सदस्य सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.

बता दें कि एम के राउत 30 नवंबर को पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए थे. वे 1984 बैच के आईएएस हैं. उन्होंने करीब 33 साल तक आईएएस की सर्विस में से छत्तीसगढ़ को 33 सालों तक अपनी सेवाएं दी हैं. छत्तीसगढ़ बनने के पहले सात साल वे छत्तीसगढ़ में ही रहे. पहले रायगढ़ में अपर कलेक्टर, फिर बिलासपुर के कलेक्टर, बिलासपुर से ही वे रायपुर के कलेक्टर बने.

बिलासपुर, रायपुर में कलेक्टर रहने के कारण आधे से ज्यादा छत्तीसगढ़ और वहां के लोगों से वे वाकिफ थे. इसके बाद सचिव के तौर पर भी कई अहम ज़िम्मेदारियां राउत ने संभालीं. वे अमूमन सभी अहम विभागों में रहे. रिटायर होने से पहले वे पंचायत, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, विद्यालयीन शिक्षा, उच्च शिक्षा, शहरी विकास, श्रम, स्वास्थ्य और वन विभाग में सचिव रहे.

84 बैच के आईएएस राउत की पहचान दबंग और रिजल्ट देने वाले अधिकारियों में रही है. सरकार को पंच, सरपंचों से जोड़ने वाली ड्रीम प्रोजेक्ट हमर छत्तीसगढ़ योजना भी राउत ने ही शुरू कराई.

विवादों से भी नाता

वहीं मुख्य सूचना आयुक्त एम के राउत की नियुक्ति कई सवाल भी उठाए गए. आरटीआई कार्यकर्ताओं ने राउत की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए इसे अवैधानिक करार दिया. सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने कहा कि जिस अफसर के विरूद्ध ईडी की जांच चल रही है, ऐसे व्यक्ति को मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर काबिज करना उचित नहीं है.

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उन्होंने विपक्ष पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाई गई कमेटी में नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव भी शामिल हैं, लिहाजा उनकी अनुशंसा इस बात को की ओर इशारा करती है कि सरकार के साथ उनकी सांठगांठ हैं.

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता ललित चंद्रनाहू का आरोप कि रायपुर के कलेक्टर रहते एम के राउत ने करोड़ों जमीन घोटाला किया था. इसकी शिकायत 12.06.17 को प्रधानमंत्री, मुख्य सचिव छग शासन, एसीबी और ईओडब्लू को किया था, जिसकी जांच कार्यवाही लंबित है. वहीं उनके विरुद्ध छत्तीसगढ़ लोक आयोग में अवचार का प्रकरण भी लंबित है. इसके साथ राउत के खिलाफ भारत सरकार के प्रवर्तन निर्देशालय ने 22 हजार डॉलर की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में नोटिस जारी किया गया, जिसका प्रकरण भी लंबित है.