प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को पूरे देशभर में सेवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रदेश की उत्कृष्ट विधायक भावना बोहरा ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में लगभग 70 से अधिक ऐसे आदिवासी परिवारों की घर वापसी कराई, जिन्होंने पूर्व में कुछ कारणों से अपना मूल धर्म छोड़ दिया था।
सेवा दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में न सिर्फ इन परिवारों का आत्मीय स्वागत किया गया, बल्कि स्वयं विधायक भावना बोहरा ने उनके पैर पखारकर भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की मिसाल पेश की। उन्होंने सभी परिवारों को उपहार भेंट किए और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस मौके पर पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत अभियान की जानकारी एवं जागरूकता के लिए वाहनों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।




लोगों ने की विधायक के सेवा कार्य की सराहना
विधायक भावना बोहरा ने अपने संबोधन में कहा, सेवा केवल कर्म नहीं, एक संस्कार है। आज इन परिवारों का फिर से अपनी जड़ों से जुड़ना हमारे सामाजिक ताने-बाने को और मजबूत करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज का हर वर्ग साथ मिलकर आगे बढ़े, यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है और उसी सपने को सेवा दिवस के माध्यम से साकार किया जा रहा है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी, सामाजिक कार्यकर्ता और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने विधायक भावना बोहरा के इस सेवा कार्य की सराहना की और इसे एक प्रेरणादायक पहल बताया।
विधायक भावना बोहरा ने कहा कि वनांचल क्षेत्र में निःशुल्क एम्बुलेंस सेवा, शैक्षणिक सुविधाओं, निःशुल्क मोबाइल हेल्थ पैथ लैब,अधोसंरचना व विकास कार्य, जनजाति परिवारों के लिए 3300 से अधिक पीएम आवास, पीएम जनमन योजना से करोड़ों की लागत से पक्की सड़कों का निर्माण और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के साथ ही विधानसभा पटल पर उनकी समस्याओं व उसके समाधान के लिए निरंतर आवाज उठाई है। उनकी संस्कृति, सभ्यता और धरोहरों को सहेजने की दिशा में कार्य किया उसी के फलस्वरूप आज पंडरिया पंडरिया विधानसभा के जनजाति समाज के 70 लोगों ने घर वापसी करते हुए अपने मूल धर्म को अपनाया, जिनका हमने सहर्ष स्वागत करते हुए आज इस कार्यक्रम के माध्यम से उनका अभिनंदन किया।
धर्मांतरण के विषय पर भावना बोहरा ने कहा कि घर वापसी केवल आस्था का विषय नहीं है यह संस्कृति और पहचान को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक सशक्त कदम है। कुछ लोगों द्वारा प्रलोभन देकर अपने निजी स्वार्थ के लिए हमारे जनजाति व आदिवासी समाज के लोगों को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है, उनकी संस्कृति व विरासत को नुकसान पहुंचाकर वर्षों पुरानी प्राचीनकाल से चली आ रही सभ्यता को समाप्त करने का काम किया जा रहा है, लेकिन भाजपा सरकार उनके इन मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देगी। यह मुद्दा न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा से जुड़ा है, बल्कि हमारी संवैधानिक मूल्यों, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सद्भाव की परीक्षा भी है। छत्तीसगढ़, आदिवासी संस्कृति और प्रकृति की गोद में बसा हमारा यह राज्य सदियों से विविधता का प्रतीक रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में, जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण की घटनाओं ने न केवल हमारी परंपराओं को खतरा पहुँचाया है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर किया है।
आदिवासी संस्कृति को बचाना हमारा कर्तव्य : बोहरा
उन्होंने आगे कहा कि विदेशी फंडिंग से संचालित एनजीओ और मिशनरी गतिविधियां आदिवासी समुदायों को लक्ष्य बना रही है। यह केवल एक साजिश का हिस्सा लगती है, जो हमारी आदिवासी पहचान को मिटाने का प्रयास है। प्रदेश में धर्मांतरण को रोकने के लिए 2024 में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने 1968 के धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार किया, जिसमें धर्मांतरण से 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगा। पुलिस को इरादे की जांच का अधिकार मिलेगा और अवैध परिवर्तन पर 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट कहा है कि यह कानून आदिवासियों की रक्षा के लिए लाया जाएगा, क्योंकि धर्मांतरण केवल व्यक्तिगत पसंद का विषय नहीं, यह सांस्कृतिक आक्रमण है। यह समय एकजुट होने का है। हमारी आदिवासी संस्कृति जो जल, जंगल और जमीनों की रक्षा करती है उन्हें बचाना हमारा कर्तव्य है।
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